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.. प्रश्न ५८--मिथ्यात्व क्या है ? . उत्तर-पर्याय का लक्ष्य करने वाला छदमस्थ जीव को पर्यायी का (द्रव्य का) लक्ष्य न होना वह मिथ्यात्व है।
प्रश्न ५६-क्या पर्याय का ज्ञान करना मिथ्यात्व है ?
उत्तर--पर्याय का ज्ञान करना वह मिथ्यात्व नही है परन्तु पर्याय का आश्रय मानना वह मिथ्यात्व है।
प्रश्न ६०-आप्त किसे कहते हैं। उत्तर-वीतराग-सर्वज्ञ और हितोपदेशी को आप्त कहते हैं। प्रश्न ६१-जो वीतराग हो, वह सर्वज्ञ है या नहीं ? उत्तर-११-१२२ गुणस्थान मे वीतराग है, सर्वज्ञ नही है। प्रश्न६२-सर्वज्ञ हो, वह वीतराग है या नहीं?
उत्तर-नियम से है क्योकि १३वे गुणस्थान मे सर्वज्ञ है और वह १२वे गुणस्थान मे वीतराग हो ही जाता है।
प्रश्न ६३-पूर्ण आप्तपना नियम से किसके होता है ?
उत्तर-तीर्थंकर के ही होता है, क्योकि उनकी दिव्यध्वनि नियम से खिरती है।
प्रश्न ६४ -तीर्थकर पद का बन्ध, तीर्थकर के लिए कार्यकारी है या भव्य जीवो के लिए कार्यकारी है ?
उत्तर-तीर्थकर पद का बन्ध जिस जीव को प्राप्त होता है । उसका फायदा ना तो स्वय तीर्थकर होने वाले को है और ना भव्य जीवो के पार होने के लिए है, क्योकि तीर्थंकर प्रकृति विशिष्ट पूण्य प्रकृति है। ____प्रश्न ६५-तीर्थकर पद का बंध तीर्थकर होने वाले के लिए, क्यों कार्यकारी नहीं है ?
उत्तर-(१) जैसे-महावीर स्वामी के जीव को नन्दराजा के भव मे तीर्थकर गोत्र का बघ हुआ। उससे उनके तीन भव बढ गये। यदि वह उस समय विशेप स्थिरता करके अपने मे पूर्ण लीन हो जाते