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(२४१) प्रश्न ४५-अज्ञानी के राग-द्वेष का अभाव कैसे हो?
उत्तर-जिनेन्द्र कथित विश्वव्यवस्था को मानने से या निमित्तरूप सच्चे देव-गुरु-शास्त्र को मानने से ही राग-द्वेष का अभाव हो सकता है।
प्रश्न ४६- हुंडावर्सणी काल मे अछेरा क्या-क्या है ?
उत्तर-(१) तीर्थंकर के पुत्री का होना । (२) चक्रवर्ती का हारना। (३) ६३ शला के पुरुषो की जगह साठ की पख्या का होना।
प्रश्न ४७-स्मरण, विस्मरण और मरण से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर - (१) जिनका करना चाहिए निरन्तर स्मरण, उनका करता है विस्मरण । इसलिए नही मिटता है भयकर भाव मरण । (२) जिनका करना चाहिए निरन्तर विस्मरण । उनका करता है स्मरण । इसलिए नहीं मिटता है भयकर भावमरण ।
प्रश्न ४८-"जिओ और जीने दो" का क्या मर्म है ?
उत्तर-(१) अपने चैतन्य प्राण से सदा काल जोवे वह जिओ से तात्पर्य है। (२) अन्य जीव भी सदा काल अपने चैतन्य प्राणो से. जीवे यह जीने दो से तात्पर्य है ।
प्रश्न ४६-दृष्टिवन्त को भव और भव का भाव क्यों नहीं है ?
उत्तर-जैसे-स्वभाव मे भव नहीं है और भव का भाव नहीं है । उसी प्रकार दृष्टिवन्त को भव नही है और भव का भाव नहीं है।
प्रश्न ५०-जीव को लोकान जाने मे एक समय से ज्यादा समय लगे, तो क्या हानि है ? ___उत्तर-जब जीव सम्पूर्ण शुद्ध हो जाता है तब उसमे सम्पूर्ण शक्ति प्रगट हो जाती है। यदि लोकान जाने में एक समय से ज्यादा लगे तो जीव की पूर्ण शक्ति प्रगट नही हुई ऐसा कहा जा सकता है। लेकिन पर्याय मे पूर्ण शक्ति प्रगट हो गई है । इसलिए लोकाग्र जाने मे एक समय ही लगता है।
प्रश्न ५१- छेद और छेदोपस्थापना किसे कहते हैं ?