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को साकार कहते है।
प्रश्न ४१-सविकल्प और निर्विकल्प किस-किस स्थान पर प्रयोग होता है ?
उत्तर-पहली तरफ से (१) बुद्धिपूर्वक राग-अवस्था को सविकल्प अवस्था कहते है । (२) अवुद्धिपूर्वक राग सहित, किन्तु वृद्धिपूर्वक राग रहित अवस्था को निर्विकल्प अवस्था कहते है । दूसरी तरफ से, (१) ज्ञान मे पदार्थ भिन्न-भिन्न जाना जाता है, इसलिए जान को सविकल्प कहते हैं। (२) दर्शन मे पदार्थ अभेद रूप से देखा जाता है, इसलिए दर्शन को निर्विकल्प कहा जाता है।
प्रश्न ४२--सामान्य और विशेष किस-फिस स्थान पर प्रयोग होता है ?
उत्तर-पहली प्रकार से (१) दर्शन को सामान्य कहते है (दर्शनोपयोग) (२) ज्ञान को विशेष कहते है (ज्ञानोपयोग) दूसरी तरफ से, (१) सक्षेप मे (थोडे मे) बोलने के अर्थ मे सामान्य कहते है, जैसे भाई थोडे मे वर्णन करो। (२) विस्तारपूर्वक अर्थ के कथन करने कं. विशेष कहते है। तीसरी प्रकार से (१) द्रव्य को सामान्य कहते हैं। (२) गुण को विशेष कहते है । चौथी प्रकार से जव गुण को सामान्य कहे तो पर्याय को विशेष कहते है।
प्रश्न ४३-भेद-अभेद किस-किस स्थान पर प्रयोग होता है ?
उत्तर-पहली तरफ से (१) एक वस्तु का दूसरी वस्तु से भेद करके जानना, उसे भेद कहते हैं । (२) भेद गेरे बिना देखना, वह अभेद है । दूसरी तरफ से, (१) गुण पर्याय को भेद कहते हैं । (२) द्रव्य को, अभेद कहते है।
प्रश्न ४४-अज्ञानी को राग-द्वेष क्यो उत्पन्न होता है ?
उत्तर-ससार के पदार्थों का अपने भाव अनुसार परिणमन होने पर राग उत्पन्न होता है । (२) ससार के पदार्थो का अपने भाव के अनुसार न परिणमन होने पर द्वष उत्पन्न होता है।