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को नही छोडती, उसी प्रकार हमे अपने ज्ञाता - दृष्टा स्वभाव को कभी भी नही छोडना चाहिए ।
प्रश्न २७ – 'लकड़ी का छोटा टुकड़ा' क्या शिक्षा देता है ? उत्तर – जैसे नदी, नहर, समुद्र मे लकडी का टुकडा पडा हो बहाँ कैसी भी बडी तरंगे उठ रही हो परन्तु लकडी का टुकडा कभी भी डूबता ही नही, उसी प्रकार जो जीव अपने त्रिकाली स्वभाव का आश्रय लेता है, ससार मे कितनी ही प्रतिकूलता क्यो ना हो, उसे डिगा नही सकती वह हर समय कुन्दन ही रहेगा । लकडी का छोटा सा टुकडा हमे शिक्षा देता है कि जिस प्रकार मुझ पर लाखो तूफान आने पर भी मैं अपने तिरने का स्वभाव नही छोडता, उसी प्रकार हे आत्मा । तुझे अपने ज्ञायक स्वभाव का आश्रय लेकर प्रतिकूल सयोगो और विकारी भावो के होने पर कभी भी स्वभाव मे से विचलित नही होना चाहिए ।
प्रश्न २८ - 'चीनी के नारियल' से क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर -- जैसा नारियल होता हैं, वैसा ही चीनी का नारियल हो और आप उसे खावें तो उसमे मिठास ही मिठास आता है, वैसे ही आत्मा तो सम्पूर्ण अमृत की पूरी नारियली जैसा ही है उसके अनुभव करने से अमृत तत्व की ही प्राप्ति होती है। चीनी का नारियल हमे यह शिक्षा देता है कि जैसे मैं सब तरफ से मीठा ही हू, उसी प्रकार हे आत्मा । तू भी हर समय ज्ञायक स्वभावी हो रहा है और रहेगा ।
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प्रश्न २६ – 'चन्दन का इच्छुक पुरुष' से क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर - जैसे- चन्दन का इच्छुक पुरुष जब चन्दन लेने जगल मे जाता है तो वह अपने साथ गरुड या मोर को ले जाता है मोर या गरुड की टहुकार की आवाज को सुनते ही चन्दन पर लिपटे हुए अजगर और सॉप भी भाग जाते है । यदि चन्दन का इच्छुक पुरुष गरुड या मोर को साथ मे ना ले जावे, तो वह चन्दन को प्राप्त नही कर सकता, उसी प्रकार अनादिकाल से मिथ्यात्वरूपी अजगर राग