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असत्सग, (४) पूर्व का प्राय करके अनाराधकत्व, (५) बलवीर्य की होनता ।
प्रश्न १-- अल्पआयु से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर - हे आत्मन् शरीर का सम्बन्ध अल्प समय का देखने मे आता है । ऐवरेज आयु ३५ वर्ष की है लेकिन तुझे पीढियो की चिन्ता है । क्या यह तेरे लिए ठीक है ? सबकी चिन्ता करता है, किन्तु क्या यह तेरे साथ जावेगा ? विचार तो कर ।
प्रश्न २ – अनियत प्रवृत्ति से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर - हे आत्मन् । विचार-साढ़े तीन हाथ तुझे जमीन चाहिए, लेकिन बडे-बडे महलो की चिन्ता है। आधे सेर अनाज की जरूरत है, लेकिन चिन्ता लाखो की है और उसके लिए तू रात-दिन प्रवृत्ति करता है, क्या यह योग्य है ? विचार तो कर ।
प्रश्न ३ -- असीम बलवान असत्संग से क्या तात्पर्य है ?
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उत्तर - हे जीव, विचार - जहाँ देखो, काम भोग बन्ध की वाते सुनने को मिलती है । आगे चलो, पुण्य करो, दान करो, उपवास करो, प्रतिमा लो, भला हो जावेगा, यह सब बाते सुनने को मिलती है | अध्यात्म की बात तो सुनने को मिलती ही नही है । हे आत्मा अनादि अनन्त किसी से तेरा कुछ भी सम्बन्ध नही है । प्रत्येक वस्तु कायम रहते हुए परिणमन करना इसका स्वभाव है । तेरा कल्याण भी तेरे से और बुरा भी तेरे से है । ऐसी बातें सुनने को मिलती ही नही, इसलिए असीम बलवान असत्सग कहा है । त्रिकाली ज्ञायक स्वभाव जो सत् है उसका सग छोडकर मात्र क्षणिक भाव का तू सग करता है, इससे तेरा हित नही होगा । विचार तो कर ।
प्रश्न ४ – पूर्व का प्रायः करके अनाराधकपना क्या है ?
उत्तर - हे आत्मा ! तूने अनादिकाल से अपनी आत्मा की अनाराधना की है। तू इस समय अनाराधकपने को मिटाकर आराधकपना प्रकट कर सकता है क्योकि पचमकाल मे जो जीव