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प्रश्न ७-२११ कलश के चार बोल समझने वाले जीव को कैसे कैसे भाव एकत्वबुद्धि पूर्वक नहीं आते ?
उत्तर-(१) ऐसा क्यो, (२) इससे यह, (३) यह हो, यह ना हो आदि प्रश्न उपस्थित नहीं होते हैं। ज्ञानी तो सबका ज्ञाता है क्योकि वह जानता है कि 'वस्तु को एकरूप स्थिति नही रहती है।'
प्रश्न ८-"ऐसा क्यो" ऐसे प्रश्न के लिए ज्ञान स्वभाव में स्थान क्यो नहीं है ?
उत्तर-(१) एक मनुष्य दूसरे मनुष्य की निन्दा कर रहा था, एकाएक उसको प्रशसा करने लगा। (२) पार्श्वनाथ भगवान का जीव हाथी की पर्याय मे पागल बना फिरता था, उसे उसी पर्याय मे सम्यग्दर्शन की प्राप्ति हुई अज्ञानी को ऐसा लगता है । 'ऐसा क्यो। परन्तु ज्ञाता स्वभाव को जानने वाले ज्ञानी के लिए यह प्रश्न नही उठता, क्योकि 'वस्तु की एकरूप स्थिति नही रहती है और परिणाम परिणामी का ही होता है अन्य का नही।
प्रश्न :-निन्दा या गालो के शब्द सुनकर अज्ञानी को और ज्ञानी को कैसे-जैसे भाव होते हैं और क्यो होते हैं ?
उत्तर-'किसी ने गाली दी।' (१) ज्ञानी तो जानता है "गाली तो मात्र शब्दो की अवस्था है। अमुक-अमुक अक्षरो के मिलने से शब्द बने है । यह कोई निन्दा नहीं है । अज्ञानी ऐसा मानता है 'यह मेरी निन्दा हुई' यह उसकी मान्यता का दोष है और वह मान्यता ही दुख का कारण है।
(२) ज्ञानी जानता है जीव चेतन होने से जड शब्दो की अवस्था कर ही नहीं सकता, क्योकि शब्द भाषावर्गणा का ही कार्य है। अज्ञानी जीव भी निन्दा के शब्दो को तो परिणमन करा नही सकता किन्तु वह गाली देने का द्वेष भाव करता है और वह मात्र द्वप भाव से ही दुखी हो रहा है।
प्रश्न १०-'किसी ने गाली दो' इस पर ऐसा क्यो ? इस अपेक्षा पर विचार करते हैं ?