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हैं। देखो, देते हैं थोड़ी कीमत की चीज ओर चाहते है अमूल्य पद कितना आश्चर्य है |
प्रश्न ६७ -- क्या कीमती वस्तु अर्पण किये बिना मोक्ष पद की प्राप्ति नहीं हो सकती है ?
उत्तर - जैसे - कोई मनुष्य पाँच रुपया लेकर हीरा खरीदने जावे तो क्या उसे हीरा मिलेगा ? कभी भी नही मिलेगा, उसी प्रकार अमूल्य पद अर्थात् मोक्ष पद प्राप्त करने के लिये कीमती वस्तु को अर्पण करना पडेगा, तभी उसकी प्राप्ति होगी। इतना ही नही किन्तु जैन नाम घराकर अणुव्रत, महाव्रत, सोलह कारण आदि शुभभावो को कीमती मान रक्खा है । पात्र जीव कहना है कि हे भगवान | मैं इसको भी अर्पण करता हू । जहाँ से कभी भी वापस ना आना पडे ऐसे अमूल्य पद की प्राप्ति के लिए आपके चरणो मे अघं चढाता प्रश्न ६८ - 'अनपद प्राप्ताये अर्धम्' का कवित्त क्या है ?
उ०- क्षणभर निज रस को पी चेतन, मिथ्या मल को धो देता है। काषायिक भाव विनष्ट किये, निज आनन्द अमृत पीता है ॥ अनुपम सुख तब विलसित होता, केवल रवि जगमग करता है । दर्शनबल पूर्ण प्रगट होता, यह ही अरहत अवस्था है | यह अर्ध समर्पण करके प्रभु, निजगुण का अर्ध बनाऊँगा । और निश्चित तेरे सदृश प्रभु, अर्हन्त अवस्था पाऊँगा || तास ज्ञान का कारण, स्व-पर विवेक बखानी । कोटि उपाय बनाय, भव्य तानो उर आनौ ॥
॥ पूजा समाप्त ॥