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उत्तर-(१) फलां बाई कैसी साडी पहर के आती है, फलॉ बाई ने कैसा जेवर पहरा है, फलॉ बाई की आवाज और शक्ल कितनी सुन्दर है । (२) आज घर से पत्र आया है अम्माजी बीमार है। आज इन्कमटैक्स, सेलटैक्स की तारीख है; आज उतने रुपयो का लाभ हुआ; आज इतने रुपयो का नुकसान हुआ; आज हमारे घर किसने आना है या जाना है। (३) आज मुन्नी को दिखाना है; लडकी दर्शन कर रही होगी, लड़का उसकी सुरीली आवाज और शक्ल देखकर पसन्द कर लेगा, मदिर मे ही देखना त किया है। (४) मैंने इतने उपवास किये हैं, मैंने इतना दान दिया है। मैं रात्रि को भोजन नही खाता, यदि शुभभाव करते रहे तो क्रम से धर्म की प्राप्ति हो जावेगी आदि सांसारिक बाते ही देखने में आती है जिसका फल अनन्त ससार है । अत पात्र जीवो की लौकिक बाते नही करनी चाहिए, क्योकि मन्दिर का स्थान तो भव के अभाव रूप, जन्म मरण के अभाव के लिए निमित्तरूप है उसे लौकिक कार्यों का निमित्त बनाये, वह निगोद का कारण है।
प्रश्न १७-उज्ज्वल और कल्याणकारी स्तवनो की आवाजो की गंज के निमित्तरूप जिनमन्दिर मे भव्य जीवो को कैसा भाव आता
उत्तर- "उदक चन्दन तन्दुल पुष्पकै चरु सुदीप सुधूप फलार्घ कै" जल चन्दन, अक्षत, पुष्प, चरू, दीप, धूप और फल-अष्ट द्रव्यरूप पूजन सामग्री से पूजा करने का भाव हेय बुद्धि से आता है । ज्ञानी का वह भाव पुण्य बध का कारण है।
प्रश्न १५-सामग्री बनाना-चढ़ाना, पूजा-पाठ शब्द का कर्ता कौन है और कौन नहीं है ?
उत्तर-सामग्री बनाने चढाने का कर्ता आहारवर्गणा है। पूजापाठ के शब्द का कर्ता भाषावर्गणा है, जीव नही है। जो जीव जड़ के कार्य को अपना मानता है। वह उस मान्यता के कारण चारों