SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 138
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १२८ ) नवमा प्रकरण भगवान की पूजा का रहस्य भूत काल प्रभु आपका, वह मेरा वर्तमान वर्तमान जो आपका, वह भविष्य मम जान ॥ प्रश्न १- भगवान का दर्शन पूजा करते समय हमे क्या भावना भानी चाहिए ? उत्तर - भगवान | मेरा वर्तमान आपका भूतकाल जैसा है। लेकिन मेरा भविष्य आपका वर्तमान जैसा हो - ऐसी मेरी भावना है अर्थात् आप भूतकाल मे मोही - रागी द्व ेषी थे, वैसा ही मैं वर्तमान मे हू । इसलिए तो मुझे आपका दर्शन-पूजा करने का भाव आया है । किन्तु जैसे आप वर्तमान मे वीतराग हो, वैसा मैं भी वीतराग वन जाऊँ ऐसी मेरी भावना है । प्रश्न २ - पूजा क्या है ? उत्तर - जैसा अपना त्रिकाली स्वभाव है, उसमे लीन हो जाना वह पूजा है । प्रश्न ३ - पूजा कितने प्रकार की है ? उत्तर-- पूजा का कथन पाँच प्रकार से है । [१] शक्तिरूप पूजा, [२] एक देश भावपूजा, [३] द्रव्यपूजा, [४] जड़ पूजा, [५] पूर्ण भावपूजा । प्रश्न ४ - शक्तिरूप पूजा क्या है ? उत्तर- त्रिकाली परम पारिणामिक ज्ञायक भाव शक्तिरूप है वह शक्तिरूप पूजा है । यह शक्तिरूप पूजा प्रत्येक प्राणी अर्थात् निगोद से लगाकर सिद्धदशा तक सबके पास एक समान है । प्रश्न ५ – एकदेश भाव पूजा क्या है ?
SR No.010120
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy