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३३ सागर की आयुपर्यन्त रहते हैं वह तो ठीक है ना ?
उत्तर - जैसे - एक रिश्वतखोर हैडमास्टर ने एक चौथी कक्षा के ash से रिश्वत लेकर उसे सातवी कक्षा मे कर दिया। रिश्वत ना लेने वाले स्कूल इन्सपेक्टर ने उसकी परीक्षा ली तो उससे सातवी कक्षा का प्रश्न पूछा वह न बता सका फिर छठी कक्षा का प्रश्न पूछा, वह न बता सका, फिर पाँचवी कक्षा का प्रश्न पूछा, वह ना वता सका फिर चौथी कक्षा का प्रश्न पूछा, तो उसने बता दिया । तो इन्सपेक्टर ने दण्ड स्वरूप १० वर्ष तक उसे उसी चौथी क्लास मे रहने का हुक्म दिया । क्या वह लडका १० वर्ष तक उस कक्षा मे रहता हुआ आनन्द मानेगा? आप कहेंगे कभी नही । उसी प्रकार भावलिगी मुनीश्वर सातवें गुणस्थान मे आनन्द के लहर की अतीन्द्रिय रस पीते है और उनका आयुष्य पूर्ण होने पर विग्रहगति मे चौथा गुणस्थान आ जाता है और फिर सर्वार्थसिद्धि मे ३३ सागर पर्यन्त चौथे गुणस्थान मे रहना होता है । क्या वे आनन्द मानते होगे ? आप कहेंगे, कभी नही ।
प्रश्न ३६ - सच्चे और झूठे मुनि के स्वरूप को जानने के लिये हम किस शास्त्र को देखें, जिससे सब बात सुगमता से समझ मे आ जावें ?
उत्तर - मोक्षमार्ग प्रकाशक छठे अधिकार मे गुरु के वर्णन मे आचार्य प० टोडरमलजी ने खूब स्पष्ट किया है । वहाँ से अच्छी तरह पढकर जान लेवे 1
प्रश्न ३७ - श्री कुन्दकुन्द भगवान ने नियमसार जो मे क्या आदेश दिया है ?
उत्तर
जो कर सको तो ध्यानमय प्रतिक्रमण आदिक कीजिये । यदि शक्ति हो नहि तो अरे श्रद्धान निश्चय कीजिये ॥ १५४ ॥