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तर-पुद्गल मे स्पर्श, रस, गध, वर्ण ये चार विशेष गुण है। ते रस की पाँच पर्याये, गन्ध की दो पर्याय, वर्ण की पांच पर्याये पर्श की आठ पर्यायें हैं। इन आठ मे से स्निग्ध और रूक्ष को र बाकी छह पर्यायो के कारण तो स्कधरूप बघ होता ही नही स्नग्ध और रुक्ष पर्याय के कारण परमाणुओ मे परस्पर वध है, उसी प्रकार आठ कर्मों मे से चार अघाति कर्म तो बध के
नहीं है। ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय और अन्तराय का | उघाड है वह भी बध का कारण नही है और जितना उघाड :, वह भी बध का कारण नही, मात्र मोहनीय कर्म ही बध का त कारण है और मोहनीय कर्म मे भी विशेष रूप से दर्शन य कर्म बध का निमित्त कारण है। इन १०-मात्र मोहनीय कर्म बंध का निमित्त कारण है। इसमे क्या बताना चाहते हैं ? उत्तर-जैसे- परमाणुओ मे स्निग्ध-रुक्ष के कारण बध होता है। प्रकार आत्मा मे भी राग द्वेष ही बध का कारण हैं । राग-द्वीप तना जभी बनेगा, जबकि स्पर्शन इन्द्रिय को जीता जावे । इममुनि नग्न ही होना चाहिए। सश्न ११-दीपक क्या शिक्षा देता है ? उत्तर-जैसे-जब तक दीपक मे तेल रहता है, तब तक वह जलता है, उसी प्रकार जब तक जीव से मोह रहेगा तब तक वह के बैल की तरह चारो गतियो मे जन्म-मरण के दुख उठाता । अत मुनि राग-द्वप, मोह रहित होता है । इसलिए मुनि ही होना चाहिए। प्रश्न १२-जीभ हमे और क्या शिक्षा देती है ? उत्तर-जैसे-हाथ पर चिकनाहट लग जावे तो हम हाथो को व पानी से धोते हैं तथा जीभ कितने ही चिकने पदार्थ खावे उस बुन और पानी की आवश्यकता नही है क्योकि जीभ का स्वभाव