________________
( ११४ )
स्पर्शन इन्द्रिय तमाम शरीर मे अखड है । अत अखड स्पर्शन इन्द्रिय को जीते बिना अखण्ड आत्मा की प्राप्ति नही हो सकती है । इसलिए अखड आत्मा की प्राप्ति करने वाले मुनि नग्न ही होते है ।
प्रश्न ७ - लोक में क्यो कहा जाता है, कि रसना इन्द्रिय को जीतना मुश्किल है और लोकोत्तर मार्ग मे कहा जाता है कि स्पर्शन इन्द्रिय को जीतना मुश्किल है ऐसा क्यों है ?
उत्तर- [ अ ] कान दो, काम एक सुनना होता है । आँख दो, काम एक देखना होता है । नाक के छेद दो, काम एक सूंघना होता है । जीभ एक, काम दो होते है, एक बोलना और दूसरा चखना । इस प्रकार कर्ण, चक्षु और प्राण दो दो हैं और काम एक-एक है । लेकिन रसना एक, काम दो हैं । इस प्रकार जीभ का चार गुना काम हुआ, इसलिए लौकिक मे कहा जाता है कि जीभ को जीतना मुश्किल है । [आ] नग्न शरीर वाले को विकार होने पर सबको पता चल जाता है इसलिए विकार को जीतने वाला मुनि नग्न ही होना चाहिए इसी से लोकोत्तर मार्ग मे स्पर्शन इन्द्रिय को जीतना मुश्किल कहा है ।
प्रश्न ८ - जीभ हमे क्या शिक्षा देती है ?
उत्तर - जीभ अन्दर अधेरी गुफा मे पड़ी है। इसके ऊपर पैने ३२ दान्त पुलिस जैसे खडे । ऊपर दो होठ किवाड सरीखे हैं । जी भ ऐसी प्रतिकूल अवस्था मे पडी है तो भी वह अपने स्वभाव को नही छोडती और चखने योग्य पदार्थ कटु हो या स्वादिष्ट हो तो भी वह उसका स्वाद ले लेती है । उसी प्रकार हे आत्मा । तुझे भी जीभ की तरह, अपने ज्ञाता दृष्टा स्वभाव को प्रतिकूल या अनुकूल सयोग मिलने पर भी नही छोडना चाहिए । यह जीभ से पात्र जीव को शिक्षा मिलती है ।
प्रश्न – विशेष रूप से बंध का निमित कारण कौन है ?
-