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उत्तर - सामने अमन्द का बाग है । बाग में पानी दिया। देखो पेड के ज्ञान का उघाड़ मात्र स्पर्श का ही है । पानी मे स्पर्श-रस-गधवर्णादि सब है, लेकिन पेउको रस-गंध-वर्णादि का ज्ञान नही है । इससे सिद्ध होता है शेय के अनुसार ज्ञान नही होता परन्तु ज्ञान के उधान के 'अनुसार नय जाना जाता है ।
प्रश्न १८ - सामने लोकालोक है हमे ज्ञान क्यो नही होता और केवली को क्यो होता है ?
उत्तर - केवली को अपने ज्ञान के उघाट के कारण ही ज्ञान होता हैलोकालोक के कारण नही । यदि लोकालोक के कारण ज्ञान होता तो हमे भी उसका ज्ञान होना चाहिए । अत सिद्ध हुआ ज्ञ ेय के अनुमार ज्ञान नही होता परन्तु ज्ञान के उघाट के कारण शेये जाना जाता है ।
प्रश्न १६ - ज्ञेव के अनुसार ज्ञान नहीं होता, परन्तु ज्ञान के उघाट के कारण ज्ञेय जाना जाता है-पांच उदाहरण देकर समझाइये ?
उत्तर- सामने आदमी सो रहा है। उसे देखकर दूसरा आदमी कहता है कि देखो। इसके सिर पर कितने मच्छर उड रहे हैं । वे उसके लम्बे-लम्बे बाल हैं और ज्ञान किया मच्छरो का । यदि ज्ञेय के अनुसार ज्ञान होता है तो बालो का ज्ञान होना चाहिए था, मच्छरो का नही । अत सिद्ध हुआ ज्ञेय के अनुसार ज्ञान होता नहीं परन्तु ज्ञान के उघाड के अनुसार ज्ञ ेय जाना जाता है ।
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प्रश्न २० - ज्ञेय के अनुसार ज्ञान नहीं होता, परन्तु ज्ञान के उघाड अनुसार ज्ञेय जाना जाता है-छठा उदाहरण देकर समझाइये ? उत्तर - रात्रि के समय मे अन्धेरे में जा रहे हैं लकड़ी के ठूठ को भूत मान लिया और डर के मारे दुखी हो रहे हैं । यदि ज्ञय के अनुसार ज्ञान होता तो लकडी के ठूंठ को भूत न मानता । इससे सिद्ध हुआ ज्ञेय के अनुसार ज्ञान नही होता, परन्तु ज्ञान के उघाड के कारण ज्ञेय जाना जाता है ।