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गणधर ने अन्तर्मुहर्त मे १२ अग की रचना को और आप कहते हैं कि ज्ञ ेय से ज्ञान नहीं होता है ?
उत्तर -- गौतम गणधर को मति, श्रुति, अवधि और मन. पर्यय ज्ञान था । वह दिव्यध्वनि से नही हुआ क्योकि यदि दिव्यध्वनि से ज्ञान होता तो वहाँ सब जीवो को होना चाहिए था सो हुआ नही । इसलिए दिव्यध्वनि से ज्ञान नही होता परन्तु ज्ञान के उघाड के अनुसार ज्ञ ेय जाना जाता है ।
प्रश्न १५ - ज्ञेय के अनुसार ज्ञान नहीं होता, परन्तु ज्ञान के उघाड के कारण ज्ञेय जाना जाता है । तीसरा उदाहरण देकर समझाइये ?
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उत्तर - हमारे सामने आम रखा है उसमे स्पर्श-रस-गध वर्ण चारो एक साथ हैं । जिस समय हम रंग का ज्ञान करते हैं उस समय स्पर्श - रसादि का ज्ञान नही है । जिस समय रस का ज्ञान करते हैं उस समय स्पर्श गधादि का ज्ञान नही है । यदि आम से ज्ञान होता तो स्पर्शादि चारो का ज्ञान एक साथ होना चाहिए सो होता नही । इससे सिद्ध हुआ, ज्ञय के अनुसार ज्ञान नही होता परन्तु ज्ञान के उघाड के अनुसार ज्ञय जाना जाता है ।
प्रश्न १६ - क्या पाँच इन्द्रियाँ - छठा मन से भी ज्ञान नहीं होता है ?
उत्तर - बिल्कुल नही, क्योकि यह सब पुद्गल स्कधो की पर्याय है इनमे ज्ञान नही है । जिसमे स्वयं ज्ञान नही वह ज्ञान का कारण कैसे बन सकती हैं ? कभी भी नही । इससे सिद्ध हुआ, सयोग के अनुसार ज्ञान नही, परन्तु ज्ञान के उघाड के अनुसार सयोग जाना जाता है ।
प्रश्न १७ - ज्ञेय के अनुसार ज्ञान नहीं होता, परन्तु ज्ञान के उघाड़ के अनुसार ज्ञेये जाना जाता है। चौथा उदाहरण देकर समझाइये ?