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( ह८ )
ऐसा शास्त्रो मे बताया है ।
प्रश्न १२ - ज्ञेय के अनुसार ज्ञान होता नहीं, परन्तु ज्ञान के उघाड के अनुसार ज्ञेय जाना जाता है इसे दृष्टान्त से समझाइए ?
उत्तर - एक शिकारी था। उसकी तीन पत्नियां थी । एक ने कहा मुझे प्यास लगी है पानी लाओ। दूसरी ने कहा "बिछाने के लिए मृग चर्म लाओ" तीसरी ने कहा "मुझे गायन सुनाओ।" शिकारी ने तीनो को एक ही उत्तर दिया "सरो नात्थी " यह प्राकृत का शब्द है इस शब्द से तीनो का मतलब हल हो गया । पहली ने समझा "सर न अस्ति" तालाब नही है पानी कहाँ से लाऊँ । दूसरा ने समझा 'शरो न अस्ति" वाण नहीं है मृग चर्म कहाँ से लाऊँ। तीसरी ने समभा "स्वर न अस्ति" मेरा स्वर ठीक नही है गायन कैसे सुनाऊँ । विचारिए | क्या शब्द से ज्ञान हुआ ? नहीं, परन्तु तीनो को अपनेअपने ज्ञान के उघाड के कारण ज्ञान हुआ । यदि शब्द से ज्ञान होता तो तीनो को एक सा ही ज्ञान होना चाहिए था सो हुआ नही । इससे सिद्ध हुआ शब्द मे ज्ञान नही, ज्ञान ज्ञान से आता है । इसलिए ज्ञ ेय के अनुसार ज्ञान नही होता है परन्तु ज्ञान के उघाड के अनुसार ज्ञ ेय जाना जाता है ।
प्रश्न १३ - ज्ञेय के अनुसार ज्ञान होता नहीं, परन्तु ज्ञान के उघाड के अनुसार ज्ञेये जाना जाता है इसके लिए दूसरा दृष्टान्त देकर समझाइये ?
उत्तर - तीर्थकर भगवान को ओ गर्जना रूप दिव्यव्वनि खिरती है समवसरण मे बारह प्रकार की सभा होती है । क्या सब जीवो को एक सा ज्ञान होता है ? आप कहेगे नही । वास्तव मे जिस जीव को जितना ज्ञान का उघाड होता है, उतना उतना भगवान की दिव्यध्वनि पर आरोप आता है । इसलिए यह सिद्ध हुआ ज्ञेय के अनुसार -ज्ञान नही होता परन्तु ज्ञान के उघाड के अनुसार ज्ञ ेये जाना जाता है । प्रश्न १४ भगवान महावीर स्वामी की वाणी सुनकर गौतम