________________
( ८ )
घर्म किसके आश्रय प्रवर्ते । (२) गुरु न होय तो धर्म का ग्रहण कीन करावे । (३) धर्म को ग्रहण न करे तो मोक्ष की सिद्धि किसके द्वारा की जाय । ( ४ ) आप्त का ग्रहण न होय तो सत्य धर्म का उपदेश कीन दे । (५) आगम का ग्रहण ना होय तो मोक्षमार्ग मे अवलम्बन किस का करे । (६) पदार्थों का ज्ञान ना कीजिये तो [ अ ] आप का और पर का, [आ] अपने भावो का ओर पर भावो का, [इ] हेय भावो का और उपादेय भावो का, [ई] अहित का और अपने परम हित का कैसे ठीक होवे । इसलिए इन छह निमित्तो को मोक्षमार्ग मे बताया है । प्रश्न २ - इन छह निमित्तो को गृहीत मिथ्यात्व क्यो कहा है उत्तर- इन छह निमित्तो को गृहीत मिथ्यात्व नही कहा है परन्तु इनके उल्टेपने के श्रद्धान को गृहीतमिथ्यात्व कहा है। उल्टे निमित्तो के मानने से जीव का बहुत बुरा होता है ।
?
प्रश्न ६३ -- उत्टे निमित्तो के मानने से जीव का बहुत बुरा होता है वे उल्टे निमित्त क्या-क्या हैं ?
उत्तर - सर्व प्रकार से धर्म को जानता हुआ मिथ्यादृष्टि जीव किसी धर्म के अग को मुख्य करके अन्य धर्मो को गौण करता है । जैसे (१) कई जीव दया धर्म को मुख्य करके पूजा प्रभावनादि कार्य का उत्थान करते हैं (२) कितने ही पूजा प्रभावनादि धर्म को मुख्य करके हिंसादिक का भय नही रखते (३) कितने ही तप की मुख्यता से आर्तध्यानादिक करके भी उपवासादि करते है तथा अपने को तपस्वी मानकर निशक क्रोधादि करते है (४) कितने ही दान की मुख्यता से बहुत पाप करके भी धन उपार्जन करके दान देते है (५) कितने ही आरम्भ त्याग की मुख्यता से याचना आदि करते हैं, इत्यादि प्रकार से किसी धर्म को मुख्य करके अन्य धर्म को नहीं गिनते तथा उनके आश्रय से पाप का आचरण करते हैं । [ मोक्षमार्ग प्रकाशक ]
प्रश्न ६४ - क्या यह उनका कार्य ठीक नहीं है और ठीक क्या है ? उत्तर - उनका यह कार्य ऐसा हुआ जैसे - अविवेको व्यापारी को किसी व्यापार मे नफे के अर्थ अन्य प्रकार से टोटा पडता
बहुत