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( ६७ ) निर्मूल करके मोक्ष का उपाय करना चाहिए ॥१॥ शिव उपाय अर्थात मोक्ष का उपाय करने से पहिले उसका कारण और मगलरूप शुद्ध शिवभूप को नमस्कार करना चाहिए, क्योकि वह विघ्न विनाशक और मुख का करने वाला है ।।२।। प्रश्न १-मोक्ष क्या है?
उत्तर-"मोक्ष कहे निज शुद्धता" अर्थात परिपूर्ण शुद्धि का प्रकट होना वह मोक्ष है और मोक्ष आत्मा की परिपूर्ण शुद्ध दशा है।
प्रश्न २-मोक्ष कितने प्रकार का है ?
उत्तर-पांच प्रकार का है। (१) शक्तिरूप मोक्ष (२) दृष्टिरूप मोक्ष (चौथा गुणस्थान), (३) मोहमुक्त मोक्ष (१२ वाँ गुणस्थान) (४) जोवनमुक्त मोक्ष (१३, १४ वाँ गुणस्थान) (५) देहमुक्त मोक्ष (सिद्धदशा)।
प्रश्न ३-पांच प्रकार के मोक्ष के विषय मे क्या ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-(१) शक्तिरूप मोक्ष के आश्रय लिये बिना दृष्टिरूप मोक्ष की प्राप्ति नही होती है । (२) दृष्टिरूप मोक्ष प्राप्त किये बिना मोह मुक्त मोक्ष की प्राप्ति नही होती है। (३) मोह मुक्त मोक्ष प्राप्त किये बिना जीवन मुक्त मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है। (४) जीवन मुक्त मोक्ष प्राप्त किये बिना देहमुक्त मोक्ष की प्राप्ति नही होती है। इसलिए पात्र जीवो को एकमात्र शक्तिरूप मोक्ष का आश्रय करना चाहिए, क्योकि इसी के आश्रय से ही दृष्टिरूप मोक्ष आदि सब मोक्ष की प्राप्ति होती है । पर के, विकार के, अपूर्ण-पूर्ण शुद्ध पर्यायो के आश्रय से कुछ भी प्राप्ति नहीं होती है परन्तु अधर्म की प्राप्ति होती है।
प्रश्न ४-मोक्ष कैसे होता है ? उत्तर-सवर, निर्जरा पूर्वक ही मोक्ष होता है ।
प्रश्न ५-सवर, निर्जरा और मोक्ष अस्तिसूचक नाम हैं या नास्तिसूचक नाम हैं ?