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( ६४ ) प्रश्न २०४-आत्मा किसके द्वारा अनुभव मे आता है और किसके द्वारा अनुभव में नहीं आता है ?
उत्तर- एकमात्र प्रज्ञारूपी छंनी द्वारा ही आत्मा अनुभव में आता है और नौ प्रकार के पक्षो द्वारा आत्मा अनुभव मे नहीं आता है।
प्रश्न २०५-आत्मा और अनन्त शक्तियो का द्रव्य-क्षेत्र फालभाव एक ही है या अलग है ?
उत्तर-आत्मा और अनन्त गक्तियो का द्रव्य-क्षेत्र-काल एक ही है मात्र भाव मे अन्तर है।
प्रश्न २०६-भगवान का लघुनदन कब कहलाता है ?
उत्तर-अनन्त शक्ति सम्पन्न अपनी आत्मा को अनुभव करने पर ही भगवान का लघुनदन कहला सकता है।
प्रश्न २०७-प्रत्येक शक्ति का क्षेत्र और काल एक होने पर भी भावभेद हैं, इसे स्पष्ट समझाइये ?
उत्तर-कार्य भेद है। जैसे-जीवत्व शक्ति का कार्य आत्मा को चैतन्य प्रागो से जिलाना है। ज्ञान का कार्य जानना है। श्रद्वा का कार्य प्रतीति है । चारित्र का कार्य लीनता है। वीर्य का कार्य स्वरूप की रचना है। सुख का कार्य आकुलतारहित शान्ति का अनुभव है। प्रभुता गक्ति का कार्य स्वतन्त्रता ने शोभायमान रहना है। प्रकाश गक्ति का कार्य स्वय-प्रत्यक्ष स्वानुभव करना है। इस प्रकार अनन्त गक्तियो के कार्य भेद होने पर भी द्रव्य-क्षेत्र-काल का भेद नहीं है। प्रश्न २०८-जीवत्वशक्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर-चैतन्यमात्र भाव प्राण को धारण करे उसे जीवत्व शक्ति कहते हैं।
प्रश्न २०४--जीवत्वशक्ति के जानने से क्या-क्या लाभ है ?
उत्तर-आत्मा दस प्राणो से और भावेन्द्रियरूप अशुद्ध भाव प्राणो से जीता है ऐसी खोटी मान्यता का अभाव हो जाता है और चैतन्य प्राणो से आत्मा सदा जीता है ऐसा अनुभव हो जाता है।