________________ ती अथातो उपयो" है और दूसरी ( 266 ) प्रश्न २६६--लब्धि और उपयोगरूप ज्ञानचेतना मे कौन-सी व्याप्ति है ? उत्तर-विषम व्याप्ति है क्योकि जहाँ-जहाँ उपयोग है वहाँ-वहाँ तो लब्धि है पर जहाँ-जहाँ उपयोग नही है वहाँ-वहाँ लब्धि हो भी सकती है अथवा नही भी हो सकती अथवा इसको यूं भी कह सकते हैं कि जहाँ-जहाँ लब्धि नहीं है वहाँ-वहाँ तो उपयोग भी नही है पर जहाँ-जहाँ लब्धि है वहाँ-वहाँ उपयोग हो भी सकता है और नही भी हो सकता-कुछ नियम नही है। इनमे एक तरफा व्याप्ति है पर दूसरी तरफा नही है इसलिए विपम व्याप्ति है। इससे एक तो यह सिद्ध किया जाता है कि लब्धि कारण है--स्वोपयोग कार्य है / अत स्वोपयोग वाले के लब्धि अवश्य है। दूसरा यह सिद्ध किया जाता है कि ज्ञानचेतना प्राप्त जीव अपना उपयोग हर समय स्व मे ही रखता हो --पर मे न ले जाता हो-यह बात नही है। ज्ञानचेतना लब्धि बनी रहती है और उपयोग पर को जानने मे भी चला जाता है। प्रश्न २७०-उपयोग और बन्ध से कौन-सी व्याप्ति है ? / उत्तर-कोई भी नही है क्योकि जहाँ-जहाँ उपयोग है वहाँ-वहाँ बन्ध होना चाहिए-सिद्ध मे उपयोग तो है पर बन्ध बिलकुल नही है / जहाँ-जहाँ उपयोग नहीं है वहाँ-वहाँ बन्ध भी नहीं है यह भी नहीं घटा क्योकि विग्रहगति मे उपयोग नही है पर बन्ध है। अब दूसरी ओर से देखिए / जहाँ-जहाँ बन्ध है वहाँ-वहाँ उपयोग चाहिए-विग्रहगति मे बन्ध है पर उपयोग नही है / जहाँ-जहाँ बन्ध नही है वहाँ-वहाँ उपयोग नही है-यह भी नही घटा क्योकि सिद्ध मे बन्ध बिलकुल नही है पर उपयोग सारा स्व मे है। प्रश्न २७१-राग और ज्ञानावरण में कौन-सी व्याप्ति है ? उत्तर-विपम व्याप्ति है क्योकि जहाँ-जहाँ राग है वहाँ-वहाँ तो ज्ञानावरण है यह तो ठीक पर जहाँ-जहाँ ज्ञानावरण है वहाँ-वहाँ राग भी अवश्य हो–यह कोई नियम नही है। हो भी सकता है और नही