________________ ताई है (3) नित्य र तत् अतत् की सापेक्ष कही है ( ( 210 ) 21, 22 तथा 286 से 308 तक है (2) तत् अतत् की सापेक्षता 332 मे 334 में बताई है (3) नित्य अनित्य की सापेक्षता 433 मे कही है (4) एक अनेक की सापेक्षता 500 मे कही है। प्रश्न १२७-निरपेक्ष के नामान्तर बताओ? उत्तर-निरपेक्ष, निरकुश, स्वतन्त्र, सर्वथा, भिन्न-भिन्न प्रदेश / प्रश्न १२८-सापेक्ष के नामान्तर बताओ? उत्तर-सापेक्ष, परस्पर मिथ प्रेम, कथचित, स्यात किसी अपेक्षा मे, दोनो के अभिन्न प्रदेश / अविरुद्ध रूप से, मैत्रीभाव, सप्रतिपक्ष / प्रश्न 126- मुख्य के नामान्तर बताओ? उत्तर-विवक्षित, उन्मग्न, अर्पित, मुख्य, अनुलोम, उन्मज्जत, अस्ति, जिस दृष्टि से देखना हो, अपेक्षा, स्व / प्रश्न १३०-गौण के नामान्तर बताओ? उत्तर-अविवक्षित, अवमग्न, अनपित, गौण, प्रतिलोम, निमज्जत, नास्ति, जिस दृष्टि से न देखना हो, उपेक्षा, पर। शेष विधि विचार (6) प्रश्न १३१-'शेष विधि पूर्ववत् जान लेना' इसमें क्या रहस्य है ? उत्तर-अस्ति-नास्ति, तत्-अतत, नित्य-अनित्य, एक-अनेक, चारो युगल अपने-अपने रूप से अस्ति और नास्ति (जिसकी मुख्यता हो वह अस्ति, दूसरी नास्ति) रूप तो है ही (एक-एक नय दृष्टि) पर वे उभय (प्रमाण दृष्टि) और अनुभय (शुद्ध अखण्ड द्रव्याथिक दृष्टि) रूप भी है यह बात भी दृष्टि मे अवश्य रहे और इसका विस्मरण न हो जाय, यही इसका रहस्य है। प्रश्न १३२-'शेष विधि पूर्ववत् जान लेना' इसका कथन कहाँकहाँ है ? उत्तर-अस्ति-नास्ति का 287, 288 मे, अतत्-अतत् का 335 मे, नित्य-अनित्य का 414 से 417 मे, एक-अनेक का 466 मे किया