________________ ( 208 ) प्रश्न ११७-द्रव्य से सत् अनेक कैसे है ? उत्तर-गुण अपने लक्षण से है, पर्याय अपने लक्षण से है। प्रत्येक अवयव अपने-अपने लक्षण से (प्रदेश से नहीं) भिन्न-भिन्न है। अत. सत् द्रव्य से अनेक है। (465, 752) प्रश्न ११८-क्षेत्र से सत् अनेक कैसे है? उत्तर--प्रत्येक देशाग का सन् भिन्न-भिन्न है इस अपेक्षा क्षेत्र से अनेक भी है / प्रतीति के अनुसार अनेक है। सर्वथा नही / (466, 752) प्रश्न ११६-काल से सत् अनेक कसे है ? उत्तर-पर्याय दृष्टि से प्रत्येक काल (पर्याय) का सत् भिन्नभिन्न है इस प्रकार सत् काल की अपेक्षा अनेक है। (467, 752) प्रश्न १२०-भाव की अपेक्षा सत् अनेक कैसे है ? उत्तर-प्रत्येक भाव (गुण) अपने-अपने लक्षण से (प्रदेश से नहीं) भिन्न-भिन्न है इस प्रकार सत् भाव की अपेक्षा अनेक है। (468, 952) प्रश्न १२१-एफ अनेक पर उभय नय लगाओ? उत्तर-जो सत् गुण पर्यायादि अगो से विभाजित अनेक है, वहीं सत अनशी होने से अभेद्य एक है, यह उभय नय या प्रमाण पक्ष है। (755) प्रश्न १२२-एफ अनेक पर अनुभव नय लगाओ? उत्तर-अखण्ड होने से जिसमे द्रव्य गुण पर्याय की कल्पना ही नहीं है। जो किसी विकल्प से भी प्रगट नहीं किया जा सकता है / यह शुद्ध द्रव्यार्थिक नय या अनुभय पक्ष है। (754) निर्पक्ष, सापेक्ष विचार (5) प्रश्न १२३-निर्पेक्ष से क्या समझते हो? उत्तर-अस्ति-नस्ति, तत्-अतत्, नित्य-अनित्य, एक-अनेक, चारो