________________ ( 175 ) / उसमे गुण धर्म या ध्रौव्यधर्म है। परिणमन स्वभाव के कारण उसमें पर्यायधर्म या उत्पाद व्ययधर्म है। (86, 178) प्रश्न २८-द्रव्य और पर्याय वोनो मानने की क्या आवश्यकता - उत्तर-द्रव्य दृष्टि से वस्तु अवस्थित है और पर्याय दृष्टि से वस्तु अनवस्थित है। द्रव्य दृष्टि को निश्चय दृष्टि अन्वय दृष्टि, सामान्य दृष्टि, भी कहते हैं। पर्याय दृष्टि को अवस्था दृष्टि, विशेप दृष्टि व्यवहार दृष्टि भी कहते हैं। (65, 66, 67) प्रश्न २६-अवस्थित अनवस्थित से क्या समझते हो? उत्तर-यह द्रव्य 'वही का वही' और 'वैसा का वैसा ही है इसको अवस्थित कहते हैं अर्थात् द्रव्य का त्रिकालो स्वरूप सदा एक जैसा रहता है। इस अपेक्षा वस्तु अवस्थित है तथा प्रत्येक समय पर्याय मे हीनाधिक परिणमन हुआ करता है, इस अपेक्षा अनवस्थित है। प्रश्न ३०-अवस्थित न मानने से क्या हानि है ? उत्तर-मोक्ष का पुरुषार्थ ज्ञानी किस के आश्रय से करेंगे ? किसी के भी नही। प्रश्न ३१-अनवस्थित न मानने से क्या हानि है ? उत्तर-मोक्ष और ससार का अन्तर मिट जायेगा, मोक्ष का पुरुषार्थ व्यर्थ हो जायेगा। प्रश्न ३२-अवस्थित के पर्यायवाची नाम बताओ? उत्तर-अवस्थित, ध्र व, नित्य, त्रिकाल एकरूप, द्रव्य, गुण, सामान्य, टकोत्कीर्ण। प्रश्न ३३-अनवस्थित के पर्यायवाची नाम बताओ? उत्तर-अनवस्थित, अध्र व, अनित्य, समय समय मे भिन्न-भिन्न रूप, पर्याय, विशेष। . / गुणत्व अधिकार (2) प्रश्न ३४-गुण किसे कहते हैं ?