________________ ( 173 ) प्रश्न १४-सत् को अखण्ड रूप से देखने वाली दृष्टियो का क्या नाम है? उत्तर–सत को अभेद दृष्टि से देखने को सामान्य दृष्टि, शुद्ध द्रव्याथिक दृष्टि, अखण्ड दृष्टि, अभेद दृष्टि, निर्विकल्प दृष्टि, अनिर्वचनीय दृष्टि, निश्चय दृष्टि, शुद्ध दृष्टि आदि अनेक नामो से कहा जाता (84, 18, 216, 247) प्रश्न १५-सत् को खण्ड रूप से देखने वाली दृष्टियो का क्या नाम है ? उत्तर-सत को भेद दृष्टि से देखने को विशेष दृष्टि, पर्याय दष्टि, अश दृष्टि, खण्ड दृष्टि, व्यवहार दृष्टि, भेद दृष्टि कहा जाता है। (84, 88, 247) प्रश्न १६-द्रव्य का विभाग किस प्रकार किया जाता है ? उत्तर-एक विस्तार क्रम से, दूसरा प्रवाह क्रम से। विस्तार क्रम मे यह जानने की आवश्यकता है कि प्रत्येक द्रव्य कितने प्रदेशो का अखण्ड पिण्ड है और प्रवाह क्रम मे उसके अनन्त गुण, प्रत्येक गुण के अनन्त अविभाग प्रतिछेद तथा उनका अनादि अनन्त हीनाधिक परिणमन जानने की आवश्यकता है। प्रश्न १७--द्रव्यों का विस्तार क्रम (लम्बाई) बताओ? उत्तर-धर्म अधर्म और एक जीव द्रव्य असख्यात् प्रदेशी है, आकाश अनन्त प्रदेशी है, कालाणु तथा शुद्ध पुद्गल परमाणु अप्रदेशी अर्थात् एक प्रदेशो है। (25) प्रश्न १८-एक द्रव्य के प्रत्येक प्रदेश को एक स्वतन्त्र द्रव्य मानने मे क्या आपत्ति है ? (31) उत्तर-गुण परिणमन प्रत्येक प्रदेश मे भिन्न-भिन्न रूप से होना चाहिए जो प्रत्यक्षवाधित है। (32 से 37) प्रश्न १६-द्रव्य का चतुष्टय फिसे कहते हैं ? उत्तर-देश-देशाश-गुण-गुणाश को द्रव्य का चतुष्टय कहते हैं /