________________ ( 136 ) प्रश्न २११-पारिणामिक भाव को 320 गाथा जयसेनाचार्य की टीका में किस नाम से कहा है ? उत्तर-“सकल निरावरण-अखण्ड-एक-प्रत्यक्ष-प्रतिभासमय अविनश्वर शुद्ध-पारिणामिक-परमभाव लक्षण-निज परमात्मद्रव्य वही मैं हूँ।" इस नाम से सम्बोधन किया है। प्रश्न २१२-मोक्ष का कारण किसे कहा है ? उत्तर--शुद्ध पारिणामिक भाव का अवलम्वन लेने से जो शुद्ध दशारूप औपशमिक, क्षायोपशमिक और क्षायिक भाव हैं। जो वह व्यवहार रत्नत्रयादि से रहित हैं वह शुद्ध उपादानकारण (क्षणिक उपादान) होने से मोक्ष के कारण है। यह प्रगटरूप मोक्ष की बात है। प्रश्न २१३---शुद्ध पारिणामिक भाव क्या है ? उत्तर-ध्येयरूप है ध्यानरूप नहीं है। प्रश्न २१४--शुद्ध पारिणामिक भाव ध्यानरूप क्यो नहीं है ? उत्तर-ध्यान विनश्वर है और शुद्ध पारिणामिक भाव तो अविनाशी है। प्रश्न 215--- ज्ञानी स्वय ध्यानरूप परिणामित है तो वह किसका ध्यान करता है? उत्तर-एकमात्र त्रिकाली परम पारिणामिक भाव निज परमात्म द्रव्य वही मैं हूँ। प्रश्न २१६-ज्ञानी की दृष्टि किस भाव पर होती है ? उत्तर-ज्ञानी की दृष्टि शुद्ध पर्याय पर भी नही होती, तव विकार और पर द्रव्यो की तो बात ही नहीं है, मात्र अपने एक अखण्ड स्वभाव पर होती है। प्रश्न २१७--संसार के कार्यों में प्रवर्तते हुए हम ज्ञानी को देखते उत्तर-जैसे-लडकी की शादी होने पर मां-बाप के घर आने पर भी घर का सारा काम काज करते हुए भी दृष्टि अपने पति पर ही