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उत्तर -- जिनेश्वर देव के उपदेशानुसार पुरुषार्थ पूर्वक उपाय करना चाहिए | इसमे निमित्त और उपादान दोनो आ जाते हैं ।
प्रश्न १२३ - जिनेश्वर देव ने मोक्ष के लिए क्या उपाय बताया है ?
उत्तर - जो जीव पुरुषार्थ पूर्वक मोक्ष का उपाय करता है, उसे तो सर्वकारण मिलते है और अवश्य मोक्ष की प्राप्ति होती है । काललब्धि, भवितव्य, कर्म के उपशमादिक कारण मिलाना नही पडते, किन्तु जो जीव पुरुषार्थ पूर्वक मोक्ष का उपाय करता है, उसे तो सव कारण मिल जाते है और जो उपाय नही करता, उसे कोई कारण नही मिलते। और ना उसे धर्म की प्राप्ति होती है । ऐसा निश्चय करना । [ मोक्षमार्ग प्रकाशक ]
प्रश्न १२४ – क्या जीव को काललब्धि, भवितव्य और कर्म के उपशमादिक जुटाने नहीं पटते है ?
उत्तर- -जुटाने नही पडते है वास्तव मे जब जीव स्वभाव सन्मुख यथार्थ पुरुषार्थ करता है तब वे कारण स्वय होते हैं ।
प्रश्न १२५ - रागादिक कैसे दूर हो ?
उत्तर - जैसे – पुत्र का अर्थी विवाहादि का तो उद्यम करे और भवितव्य स्वयमेव हो तव पुत्र होगा, उसी प्रकार विभाव दूर करने का कारण तो बुद्धिपूर्वक तत्व विचारादि ( रुचि और लीनता ) है और अबुद्धिपूर्वक मोहकर्म के उपशमादिक हैं । सो तत्व का अर्थी ( सच्चा सुख पाने का अर्थी) तत्व विचारादिक का तो उद्यम करे और मोहकर्म के उपशमादिक स्वयमेव हो तब रागादिक दूर होते है ।
प्रश्न १२६ - श्री समयसार नाटक से 'शिनमार्ग' किसे कहा है ? उत्तर - स्वभाव आदि पाँचो को सर्वांगी मानना उसे शिवमार्ग कहा है । और किसी एक को ही मानना, यह पक्षपात होने से मिथ्यामार्ग कहा है ।