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________________ ( ६४ ) तिस उपाय से सर्व प्रकार से मिथ्यात्व का नाश करना योग्य है। (मोक्षमार्ग प्रकाशक) प्रश्न १०६-मोक्ष के प्रयत्न में कितनी बातें एक साथ होती हैं, और कौन-कौन सी होती हैं ? उत्तर-मोक्ष के प्रयत्न मे पाच बाते एक साथ होती हैं। (१) ज्ञायक स्वभाव (२) पुरुषार्थ, (३) काललब्धि (४) भवितव्य, और (५) कर्म के उपशमादि। यह पांच बातें धर्म करने की एक साथ होती हैं। प्रश्त ११०-यह स्वभाव आदि पांच बातें कारण हैं या कार्य है ? उत्तर-कारण हैं, कार्य नही हैं। प्रश्न १११-स्वभाव क्या है ? उत्तर-अनन्त गुणो का अभेद पिण्ड ज्ञायक भगवान आत्मा अपना स्वभाव है। प्रश्न ११२-पुरुषार्थ क्या है ? उत्तर-अपने ज्ञान गुण की पर्याय जो पर सन्मुख है, उसे अपने स्वभाव के सन्मुख करना यह पुरुषार्थ है। यह क्षणिक उपादान कारण प्रश्न ११३-काललब्धि क्या है ? उत्तर-(१) वह कोई वस्तु नही किन्तु जिस काल मे कार्य बने वही काललब्धि है। (२) यहाँ कालादि लब्धि मे काललब्धि का अर्थ स्वकाल की प्राप्ति होता है । (३) भगवान श्री जयसेनाचार्य ने समयसार गा०७१ मे काललब्धि को धर्म पाने के समय "श्री धर्मकाललब्धि" के नाम से सम्बोधन किया है। प्रश्न ११४-भवितव्य क्या है ? उत्तर-(१) भवितव्य अथवा नियति, उस समय पर्याय की योग्यता है यह भी क्षणिक उपादान कारण है। (२) जो कार्य होना था, सो हुआ इसको भवितव्य कहते हैं।
SR No.010119
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages289
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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