________________
( ६३ ) उत्तर-एक मात्र अपने गुणो के अभेद पिण्ड ज्ञायक भगवान
द्रव्य का आश्रय लें तो मिथ्यात्व का प्रभाव हो । प्रश्न (६३)-मिथ्यात्व का अभाव करने लिए प्रात्मा का तो
आश्रय ना लें परन्तु व्रत करे. बहुत शास्त्र पढ़े, तपश्चरण
करे तो क्या होगा ? उत्तर-कभी भी मिथ्यात्व का प्रभाव ना होगा बल्कि
मिथ्यात्व दृढ़ होकर निगोद चला जावेगा । क्योंकि प्राचार्यकल्प टोडर मल जी ने कहा है कि "तत्त्व विचार रहित (अर्थात् प्रात्मा का आश्रय लिये बिना) देवादि की प्रतीति करे, बहुत शास्त्रों का अभ्यास करे. व्रतादि वाले, तपश्चरणादि करे उसको तो सम्यक्त्व होने का अधिकार नहीं है, (अर्थात् मिथ्यात्व के अभाव होने का अवकाश नही है । और तत्व विचार वाला (अर्थात् प्रात्मा का पाश्रय लेने वाले को) व्रतादि के बिना भी सम्यक्त्व की
प्राप्ति होती है । प्रश्न (६४)-श्रेणी मांडने के लिए किस का पाश्रय करे ? उत्तर-एक मात्र अनन्त गुणो के अभेद ज्ञायक द्रव्य के आश्रय
से श्रेणी की प्राप्ति होती है किसी द्रव्यकर्म, नोकर्म, भावकर्म तथा परलक्षी ज्ञान से कभी भी श्रेणी की प्राप्ति
नहीं होती है। प्रश्न (६५)-अरहंत भगवान को किसका आश्रय है ? उत्तर-एकमात्र अनन्त गुणों के प्रभेद पिण्ड ज्ञायक भगवान
रूप अपने द्रव्य का ही पाश्रय परहंत भगवान को है। प्रश्न (६६)-पात्र जीव सामायिक के लिए किसका प्राश्रय
करता है ?