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( ५४ ) उत्तर-पर्याय में अन्तर है। प्रश्न (२७)-सिद्ध बनने के लिए पर्याय के अन्तर को कैसे दूर
करें?
उत्तर - जैसा सिद्ध भगवान ने किया, वैसा करे तो पर्याय
का अन्तर दूर होवे। प्रश्न (२८)-सिद्ध बनने से पूर्व, सिद्ध प्रात्मा ने पर्याय में
विकार को दूर करने के लिए क्या किया ? उत्तर-अपने अनन्त गणों के अभेद पिण्ड भूतार्थ स्वभाव का
श्रद्धानादि किया तो पर्याय में से विकार का प्रभाव हुआ। प्रश्न (२६)-हम पर्याय के अन्तर को दूर करने के लिए
क्या करे ? उत्तर-हम अपने अनन्त गुणों के अभेद पिण्ड भूतार्थ स्वभाव
का श्रद्धानादि करे तो पर्याय का अन्तर दूर होकर हम
भी पर्याय में सिद्ध जैसे हो जावें। प्रश्न (३०)--गुणों के समूह को द्रव्य कहते हैं जरा दृष्टान्त
देकर समझाईये ? उत्तर-जैसे हमारे घर में छह आदमी हैं प्रत्येक के पास अटूट
धन है किसी के पास किसी भी प्रकार धन की कमी या अधिकता नहीं है, समान ही है, उसी प्रकार जाति अपेक्षा छह द्रव्य है प्रत्येक के पास अनन्तानन्त गुणों का पिण्ड है, किसी के पास किसी भी प्रकार गुण कम या ज्यादा नहीं हैं समान ही है।