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________________ ( ५३ ) प्रश्न (२१) - धर्मादि द्रव्य तो अचेतन हैं और जीव चेतन है उसके गुण एक समान कैसे हो सकते हैं ? उत्तर- हमने संख्या अपेक्षा समान कहा है । प्रश्न (२२) - तो क्या प्रत्येक द्रव्य में गुण समान ही हैं ? उत्तर - हां, प्रत्येक द्रव्य में संख्या अपेक्षा गुण समान ही हैं कम ज्यादा नहीं हैं । प्रश्न (२३) -- एक द्रव्य में कितने गुण हैं ? उत्तर- अनन्त गुण है । प्रश्न (२४)-- प्रत्येक द्रव्य में अनन्त गुण हैं उन अनन्त गुणों का कोई माप है ? उत्तर - (१) जीव अनन्त हैं । (२) जीव से अनन्त गुणा अधिक पुद्गल द्रव्य हैं । (३) पुद्गल द्रव्य से अनन्त गुणा अधिक तीन काल के समय हैं । (४) तीन काल के समयों से अनन्तगुणा अधिक आकाश के प्रदेश हैं । (५) आकाश के प्रदेशों से अनन्तगुणा अधिक एक द्रव्य में गुण हैं । प्रश्न (२५) - सिद्ध भगवान में प्रोर हमारे में किस अपेक्षा अन्तर नही है ? उत्तर - गुणों की अपेक्षा अन्तर नहीं है । प्रश्न ( २६ ) - जब सिद्ध भगवान में और हमारे में गुणों की अपेक्षा अन्तर नहीं है तो अन्तर किसमें है ?
SR No.010118
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages211
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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