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( ४४) प्रश्न (११७/-जब अत्यन्त भिन्न पदार्थों से किसी भी प्रकार
का कोई सम्बंध नहीं है तो यह अज्ञानी जीव
क्यों पागल हो रहा है ? उत्तर-मैं अनादिमनन्त ज्ञानस्वरुप भगवान प्रात्मा हैं इसका
अनुभव ज्ञान प्राचरण ना होने से अर्थात् पर वस्तुओं
में तेरी मेरी मान्यता से ही पागल हो रहा है। प्रश्न (११८)--यह जीव अनादिकाल से संसार में दुःखी होता
हुमा क्यों भ्रमण करता है ? उत्तर-विश्व का सच्चा ज्ञान ना होने से परिभ्रमण करता है प्रश्न (११९)-संसार परिभ्रमण का कारण ज़रा खोलकर
समझामो? उत्तर-इच्छा, माकुलता यह रोग है और इच्छा मिटाने का
इलाज अज्ञानी विषय सामग्री मानता है। अब एक प्रकार की विषय सामग्री की प्राप्ति से एक प्रकार की इच्छा रुक जाती है और दूसरी तुरन्त खड़ी हो जाती है परन्तु तृष्णा इच्छा रोग तो अंतरंग में से नहीं मिटता है इसलिए दूसरी अन्य प्रकार की इच्छा और उत्पन्न हो जाती है। इस प्रकार सामग्री मिलाते मिलाते आयु पूर्ण हो जाती है और इच्छा तो बराबर, निरन्तर बनी रहती है। उसके बाद अन्य पर्याय प्राप्त करता है तब वहाँ उस पर्याय सम्बधी नवीन कार्यों की इच्छा उत्पन्न होती है इस प्रकार अज्ञानी जीव अनादिकाल से चौरासी लाख योनियों में भटकता रहता है।