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( २८ ) प्रश्न (६४)--अधर्मद्रव्य सम्पूर्ण लोकाकाश में फैला हुआ है यह
बात साची है या झूठी है ? उत्तर-झूठी है क्योंकि व्यवहारनय से कहा जाता है कि सम्पूर्ण
लोकाकाश में फैला हुआ है प्रश्न (६५)-अधर्मद्रव्य सम्पूर्ण लोकाकाश में फैला हुआ है
यह बात झूठी है तो साची बात क्या है। उत्तर-अधर्मद्रव्य अपने असंख्यात प्रदेशों में फैला हुआ है।
यह बात साची है। प्रश्न (६६)--अधर्मद्रव्य की व्याख्या में कहा है कि जो "गति
पूर्वक स्थिति" करे उसे अधर्मद्रव्य निमित्त है, उसमें से यदि “गतिपूर्वक" शब्द निकाल दें तो क्या
दोष पायेगा ? उत्तर-जो गतिपूर्वक स्थिति करे ऐसे जीव और पुद्गलों को
ही अधर्मद्रव्य स्थिति में निमित्त ह। यदि "गतिपूर्वक" शब्द निकाल दें तो सदैव स्थिर रहने वाले धर्म,प्राकाश और कालद्रव्यों को भी स्थिति में अधर्म
द्रव्य के निमित्तपने का प्रसंग आवेगा। प्रश्न (६७)--पाकाश द्रव्य किसे कहते हैं ? उत्तर-जो जीवादिक पांच द्रव्यों को रहने का स्थान देता है
उसे माकाश द्रव्य कहते हैं। प्रश्न (६८)-माकाश के कितने भेद हैं ?