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( २५ ) उत्तर-झूठी है क्योंकि व्यवहारनय से कहा जाता है कि
लोकाकाश में रहते हैं। प्रश्न (५२)-पुद्गल द्रव्य सम्पूण लोकाकाश में रहते हैं यह
बात झूठी है तो साची बात क्या है ? उत्तर-प्रत्येक परमाणु अपने अपने एक एक प्रदेश में रहता है
यह बात साची है। प्रश्न (५३)-पुद्गल द्रव्य जीव से अनन्तानन्त गुणा हैं यह बात
शास्त्रों से जानी या और किसी प्रकार से
जानी है ? उत्तर-यह बात शास्त्रों में तो है ही। परन्तु विचारो-एक
प्रात्मा इसके साथ तेजस, कार्माण, मौदारिक शरीर है, यह पुदगल का स्कध है इसमें अनन्त पुद्गल हैं। तो जीव एक, पुद्गल अनन्त हैं । तो जीव अनन्त तो पुद्गल
परमाणु जीव से अनन्तानन्त गुणे सिद्ध हो गये। प्रश्न (५४)-धर्म द्रव्य किसे कहते हैं ? उत्तर-जो स्वयं गमन करते हुए जीव और पुद्गलों को गमन
करने में निमित्त हो उसे धर्म द्रव्य कहते हैं । जैसे स्वयं
गमन करती हुई मछली को गमन करने मे पानी। प्रश्न (५५)-धर्म द्रव्य को कब माना ? . उत्तर--प्रत्येक जीव और पुद्गल अपनी अपनी क्रियावती शक्ति से
चलता है धर्म द्रव्य से नहीं चलता है । मैं (जीव) शरीर को नहीं चलाता और शरीर जीव को नहीं चलाता है