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और दृष्टि स्वभाव पर होगी तब जीव अनन्त हैं
तभी माना सार्थक कहा जावेगा। (२) जीव अनन्त हैं हमारे ज्ञान में भी अनन्त जीवों के
द्रव्य गुण पर्याय पृथक पृथक हैं ऐसा ज्ञान में आवे
तब जीव अनन्त हैं ऐसा माना । प्रश्न (२५)-जीव अनन्त हैं और सम्पूर्ण लोकाकाश में हैं। इसमें
"सम्पूर्ण लोकाकाश मे है" यह बात साची है या
झूठी? उत्तर-झूठी है, क्योंकि व्यवहारनय से कहा जाता है कि जीव
सम्पूर्ण लोकाकाश में है। प्रश्न (२६)-जीव सम्पूर्ण लोकाकाश में हैं यह बात झूठी है तो
साची बात क्या है ? उत्तर-वास्तव में प्रत्येक जीव अपने अपने असंख्यात प्रदेशों में
रहता है यह बात साची है। प्रश्न (२७)-पुद्गल द्रव्य किसे कहते है ? उत्तर-जिसमें स्पर्श रस गंध वर्ण यह गुण हों उसे पुद्गल
कहते हैं। प्रश्न (२८)-पुद्गल के कितने भेद है ? उत्तर-दो भेद हैं-एक परमाणु और दूसरा स्कंध । प्रश्न (२६)-परमाणु किसे कहते हैं ?