________________
(२००)
( ३ ) नियमसार गा० २६ की टीका में लिखा है कि • " शुद्ध निश्चयनय से स्वभाव शुद्ध पर्यायात्मक परमाणु को ही “पुद्गल द्रव्य " ऐसा नाम होता है । अन्य स्कंध पुद्गलों को व्यवहारनय से विभाव पर्यायात्मक पुद्गल पना उपचार द्वारा सिद्ध होता है ।
इन सब में परमाणु को निश्चय द्रव्य कहा है और स्कंध को व्यवहार से पुद्गल कहा है । प्रश्न (४०६)–स्क ंध स्वतन्त्र द्रव्य नही है परमाणु ही स्वत त्र द्रव्य है इसके लिए श्री पंचास्तिकाय मे कही बताया है ? उत्तर- ( १ ) पचास्तिकाय गा० ७६ में "बादर और सूक्ष्म रुप से परिणत स्कंधों को 'पुद्गल' ऐसा व्यवहार है" ( २ ) पंचास्तिकाय गा० ८१ में लिखा है कि "सर्वत्र परमाणु मे रस-वर्ण-गध स्पर्श सहभावी गुण होते है, और वे गुण उसमे क्रमवर्ती निज पर्यायों सहित वर्तते हैं । .....और स्निग्ध रुक्षत्व के कारण बध होने से अनेक परमाणुओ की एकत्व परिणति रुप, स्कंघ के भीतर रहा हो, तथापि स्वभाव को न छोड़ता हुआ, सख्या को प्राप्त होने से (अर्थात् परिपूर्ण एक की भांति पृथक गिनती मे आने से ) अकेला ही द्रव्य है ।"
इसमे बताया है कि स्कध मे भी प्रत्येक परमाणु स्वयं परिपूर्ण है, स्वतंत्र है । पर की सहायता से रहित और अपने से ही अपने गुण पर्यार्यो में स्थित है ।
प्रश्न (४१०) -स्कध स्वतंत्र द्रव्य नही है, परमाणु ही स्वतंत्र द्रव्य है इसके लिए श्री कहीं कुछ बताया है ?
समयसार में
उत्तर - श्री समयसार गा० २७ में लिखा है कि "जैसे इस