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( १७६ ) साथ होते हैं यह बताया है। प्रश्न (३२०)-प्रवचनसार गा० १०१ में क्या बताया है ? उत्तर-(१) उत्पाद व्यय ध्रौव्य किसके हैं ? उत्तर--पर्याय के
हैं। (२) पर्याय किसमें होती है ? उत्तर--ब्रम में होती है
इस प्रकार सबको एक द्रव्य में ही बताया है, बाहर नहीं। प्रश्न (३२१)--बाई ने रोटी बनाई ? इसमें उत्पाद व्यय प्रोग्य
लगाओ, और इससे क्या लाभ रहा ? उत्तर रोटी का उत्पाद, लोई का व्यय, आहारवर्गणा ध्रौव्य है,
तो बाई ने रोटी बनाई यह बुद्धि उड गई। तथा प्रत्येक कार्य ऐसे ही होता है, होता रहा है, और होता रहेगा, ऐसा मानते ही दृष्टि स्वभाव पर जावे तो धम की प्राप्ति
होना इसको जानने का लाभ है। प्रश्न (३२२)-कुम्हार ने घड़ा बनाया, इसमें उत्पाद व्यय और
ध्रौव्य लगायो, तथा क्या लाभ रहा यह बतायो ? उत्तर-घड़े का उत्पाद, पिण्ड का व्यय, आहारवर्गणा के
स्कध मिट्टी ध्रोव्य है । कुम्हार चाक कीली डन्डे से दृष्टि
हट गई । प्रश्न (२२३)-ज्ञानावर्णी के प्रभाव से केवलज्ञान हुमा; इनमें
उत्पाद्रव्य धोब्य बगामो, और क्या लाभ रहा ? उत्तर केबलज्ञान का उत्पाद भावश्रुतज्ञान का व्यय, प्रात्मा
का ज्ञान गुण ध्रौव्य है। केवलज्ञानावर्णी के प्रभाव से
हुधा यह दृष्टि हट गई। प्रश्न (३२४ -मैंने बिस्तरा विछाया, इसमें उत्पाद व्यय ध्रौव्य
लनामो, और क्या लाभ रहा ?