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उत्तर-यह पाठ पर्याय पुद्गल की है अनादि से मैं हल्का
भारी, मुझे गर्मी ठंडी का बुखार प्रादि खोटी मान्यता से पागल हो रहा था, तब सत्गुरु ने कहा 'तू तो अस्पर्श स्वभावी भगवान प्रात्मा है, हल्का भारी आदि पुद्गल के स्पर्श गुण की पर्यायें हैं; ऐमा जानकर अस्पर्श स्वभावी भगवान आत्मा का आश्रय ले तो स्पर्श की पाठ पर्यायों से संबन्ध नहीं है यह अनुभव होना यह ज्ञान की पाठ पर्यायों
को जानने का लाभ है। प्रश्न (२८१)-ग्स क्या है ? उत्तर-पुद्गल द्रव्य का विशेष गुण है। प्रश्न (२८२) रस गुण की कितनी पर्याय है ? उत्तर-पांच है, खट्टा, मीठा, कड़ का, कषायला और चरपरा। प्रश्न (२८३ -रस गुण की पांच पर्यायों को जानने से क्या
लाभ है ? उत्तर--अज्ञानी जीव अनादि से खट्टे मीठे को अपना स्वाद
मान रहा था तो सत्गुरु ने कहा तू तो अरस स्वभावी भगवान प्रात्मा है और खट्टा मीठा प्रादि पुद्गल के रस गुण प्रादि की पर्याय है तेरा इनसे सर्वथा संबन्ध नहीं है ऐसा सुनकर अरस स्वभावी भगवान आत्मा की और
दृष्टि दे तो रस की पांच पयायों को जाना कहा जावेगा। प्रश्न (२८४-गंब क्या है? उत्तर-पुद्गल द्रव्य का विशेष गुण है। प्रश्न (२५) गंव गुण की कितनी पर्याय है?