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( १६६ ) वर्गणा है। जीव तथा दूसरी वर्गणा इसका कर्ता नहीं है। प्रश्न (२७२)-ज्ञान गुण की पर्यायों के नाम बतामो? उत्तर-माठ हैं : मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मम:
पर्ययज्ञान, केवलज्ञान यह सम्यक् पर्याय है । कुमति
कुश्रुत, कुप्रवधि मिथ्या पर्यायें है। प्रश्न (२७३)-इन ज्ञान गुण की ८ पर्यायों के जानने से ज्ञानी
अज्ञानी को क्या क्या लाभ, नुकसान हैं ? उत्तर-(१) त्रिकाल जिसमे ज्ञान गुण है उस प्रभेद मात्मा का
प्राश्रय लेकर मिथ्या पर्यायो का अभाव करके सम्यक पर्यायों को उत्पन्न करना यह प्रथम इनको जानने का लाभ पात्र जीव को होता है।
१२) ज्ञानी अपने ज्ञान स्वरूप अभेद का माश्रय बढ़ाकर केवलज्ञान प्राप्त करता है।
(३) मिथ्यादृष्टि आठ ज्ञान की पर्यायों को जानकर शास्त्र अभिनिवेश करता है। जो अनन्त संसार का
कारण है। प्रश्न .२७४)-दर्शन गुण की पर्याय कितनी है, और कौन कौन
सी हैं ? उत्तर-चार है : चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन, केवल
दर्शन । प्रश्न (२७५)-इन चार पर्यायों को जानकर पात्र जीव क्या
करता है, ज्ञानी क्या करता है, और अज्ञानी क्या करता
उत्तर-(१)चार पर्यायों से लक्ष हटाकर अपने दर्शन रूप