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( १४७ ) द्रव्यों से बनी हुई हैं। प्रश्न (१४०)--असमानजातीय द्रव्य पर्याय के कुछ नाम
बतायो ? उत्तर -(१) अरहंत भगवान (२) देव (३। मनुष्य (४) तिर्यच
(५) नारकी, (६) कुत्ता (७) चूहा (८) चिटी, (६) पृथ्वी कायिक (१०) जल कायिक (११) स्त्री (१२) लड़का उन्हें असमाम जातीय द्रव्यपर्याय कहते हैं, क्योकि अनेक जाति के द्रव्यों मे एकपने का ज्ञान होता है इसलिए इसे असमानजातीय द्रव्य पर्याय
कहते हैं। प्रश्न (१४१)-समानजातीय द्रव्य पर्याय का सच्चा ज्ञान
किसको होता है, और किसको महीं ? उत्तर - ज्ञानियों को ही होता है प्रज्ञानियो को नही। प्रश्न (१४२)-समान जातीय द्रव्य पर्याय और असमान जातीय
द्रव्य पर्याय का सच्चा ज्ञान ज्ञानियों को क्यों होता है ? उत्तर-(१) समानजातीय द्रव्यपर्याय में ज्ञानी जानते है कि
एक एक परमाणु अपनी अपनी एक व्यंजन पर्याय और बाकी गुणों की प्रर्थ पर्याय सहित बिराज रहा है। एक परमाणु का दूसरे परमाणु से सम्बंध नहीं है, परन्तु लोक व्यवहार में 'विस्तरा आदि' बोलने में आता है।
(२) असमानजातीय द्रव्यपर्याय में ज्ञानी जानता है कि प्रात्मा एक, औदारिक, तेजस और कार्माण शरीर
प्रादि में जितने परमाणु हैं वह सब प्रत्येक अलग २ एक व्यंजन पर्याय और अनन्त अर्थ पर्याय सहित बिराज रहा है । वह प्रत्येक द्रध्य को अलग अलंग जानता