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स्वभावव्यंजन पर्यायें ही होती हैं, विभाव पर्यायें कभीभी नही होती है ।
प्रश्न (४३) - निगोद से लगाकर चारों गतियों के मिथ्यादृष्टि जीवो में कौन कौन सी पर्यायें होती है ?
उत्तर - विभावर्थ पर्याय और विभावव्यंजन पर्यायें ही होती हैं स्वभाव पर्याय नहीं होती हैं ।
प्रश्न (४४) - सिद्ध भगवान में कौन कौन सी पर्यायें होतीं है ? उत्तर - स्वभावव्य ंजन पर्याय और स्वभाव अर्थ पर्यायें ही होती हैं विभाव पर्याय नही होती है।
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प्रश्न ( ४५ ) - चोथे गुणस्थान से लेकर १४वें गुणस्थान तक कौन कौन सी पर्यायें होती है ?
उत्तर- ( १ ) विभावव्यंजन पर्याय ( २ ) स्वभावअर्थ पर्याये (३) विभावर्थ पर्यायें - इस प्रकार तीन प्रकार की पर्यायें होती हैं ।
प्रश्न ( ४६ ) - चौथे गुण स्थान से लेकर १४वें गुणस्थान तक तीनों पर्याय एक सी होती है या कुछ अन्तर है ।
उत्तर - चौथे गुणस्थान से लेकर १४वे गुणस्थान तक प्रदेशत्व गुण का विभाव रुप परिणमन है ही । परन्तु बाकी गुणों में जितनी २ शुद्धि है वह स्वभाव अर्थ पर्यायें हैं जितनी उसमें प्रशुद्धि हैं वह विभावअर्थ पर्यायें हैं ।
प्रश्न ( ४७ ) - संसार दशा में चौथे गुणस्थान से १४ वें तक विभावव्यंजन पर्याय ही है परन्तु प्रर्थपर्याय की शुद्धि और शुद्धि को स्पष्ट समाम्रो ?