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पाठ ५
पर्याय
प्रश्न (१)-पर्याय किसे कहते हैं ? उत्तर- गुणों के कार्य को (परिणमन को) पर्याय कहते हैं । प्रश्न (२)-दर्शनमोहनीय कर्म क्षय से क्षायिक सम्यक्त्व हरा,
इसमें गुणों के कार्य को पर्याय कहते हैं' कब माना और
कब नहीं माना ? उत्तर-(१) श्रद्धा गुण में से क्षायोपशमिक सम्यक्त्व का
अभाव होकर क्षायिक सम्यक्त्व हुआ, 'तो गुणों
के कार्य को पर्याय कहते हैं; माना (२) दर्शनमोहनीय के क्षय से क्षायिक सम्यक्त्व हुआ.
तो “गुणों के कार्य को पर्याय कहते हैं"
नही माना। प्रश्न (३) क्षायिक सम्यक्त्व हुआ होने से दर्शन मोहनीय का
क्षय हुआ इसमे “गुणों के कार्य को पर्याय कहते है" कब __ माना, और कब नही माना? उत्तर--(१) कार्माण वर्गणा में से दर्शनमोहनीय का क्षय हुआ,
तो "गुणों के कार्य को पर्याय कहते हैं" माना। (२) क्षायिक सम्यक्त्व हुअा होने से दर्शन मोहनीय का
क्षय हुआ, तो “गुणों के कार्य को पर्याय कहते है"
नहीं माना। प्रश्न [४]-केवलज्ञानावर्णी कर्म के अभाव से केवलज्ञान की
प्राप्ति हुई, इसमें "गुणों के कार्य को पर्याय कहते हैं, कब माना, और कब नहीं माना ?