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(३) संसार के जितने पदार्थ हैं वह मात्र ज्ञेय हैं और मेरी
प्रात्मा ज्ञायक है ऐसा पता चल जाता है। (४) पर पदार्थो और शुभाशुभ भाव जो ज्ञेय हैं वह
व्यवहार से हैं, वास्तव में तो आत्मा ज्ञायक और
ज्ञानपर्याय ज्ञेय है। (५) प्रमेयत्व गुण को मानने से लौकिक में भी सब
पापों और सप्तव्यसनों से छूट जाता है; (६) प्रमेयत्वगुण का रहस्य जानते ही चौथे गुणस्थान
से लेकर सिद्ध दशा तक क्या करते हैं सब पता
चल जाता है; (७) निगोद से लगाकर द्रव्यलिंगी मुनितक संसार
में क्यो पागल है यह भी प्रेमयत्व गुण का रहस्य
जानने से पता चल जाता है । (८) पर पदार्थो में, शुभाशुभ भावों में स्व-स्वामी
___ सम्बध का अभाव जाता है। ' (६) शरीर में रोग हो जावे, अधा हो जावे, हाथ
कट जावे, चला ना जावे तो भी.प्रमेयत्व गण
का रहस्य जानने से शान्ति की प्राप्ति होती है। (१०) धन चोरी हो जावें, मिल फेल हो जावे, देश
पर बम पड़ने लगे, कोई गाली दे, लड़का भाग जावे, स्त्री प्राज्ञा में ना चले, स्त्री मर जावे, लड़का मर जावे तो भी प्रमेयत्व गुण का रहस्य जानने
से आकुलता का अभाव हो जाता है; (१०) प्रमेयत्व गुण का रहस्य जानते ही चौथे गुण