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(१४) नौ प्रकार के अस्तित्व से दृष्टि हटकर अपने
अस्तित्व पर दृष्टि आ जाती है। यह लाभ अस्तित्व गुण को जानने से है विशेष खुलासा
जैन सिद्धांत प्रवेश रत्नमाला प्रथम भाग से देखो। प्रश्न (६६)-वस्तुत्व गुण किसे कहते है ? उत्तर--जिस शक्ति के कारण से द्रव्य में अर्थ-क्रिया-कारित्व हो
उसे वस्तुत्व गण कहते है। जैसे कि घड़े की अर्थ क्रिया जल धारण करना, आत्मा की अर्थ क्रिया जानना देखना
आदि। प्रश्न (६७)-वस्तुत्व गुण के थोड़े में क्या क्या लाभ हैं ? उत्तर-(१) प्रत्येक द्रव्य अपना अपना प्रयोजनभूत कार्य करता
ही रहता है। (२) प्रत्येक द्रव्य का गण अपना अपना प्रयोजनभूत
कार्य करता ही रहता है कोई गुण निकम्मा
नहीं है। (३) प्रत्येक द्रव्य, अपने अपने गुण पर्यायों में ही
बसते हैं; (४) प्रत्येक द्रव्य सामान्य विशेष रुप प्रवर्तता है ; (५) पर में कर्ता-भोक्ता की खोटी बुद्धि का प्रभाव
हो जाता है; (६) क्रमबद्ध पर्याय की सिद्धि हो जाती है ; (७) निमित्त से उपादान में कुछ होता है ऐसी खोटी
बुद्धि का नाश हो जाता है; स्वतन्त्रता का पता चल जाता है।