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इसलिये कार्य का सच्चाकारण उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण ही है त्रिकाली उपादान कारण नही है ।
प्रश्न १४ - कार्य का अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादान कारण सच्चा कारण क्यो नहीं है ?
उत्तर -- कार्य स्वय एक समय का सत् है । वह अनन्तर पूर्व पर्याय मे से आवे ऐसा नही है, क्योकि अभाव मे से भाव की उत्पत्ति नही होती है और पर्याय मे से पर्याय नही आती । इसलिए कार्य का सच्चा कारण उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उहादान कारण ही है । अनन्तरपूर्व क्षणवर्तीपर्याय क्षणिक उपादान कारण सच्चा कारण नही है। याद रहे अनन्तरपूर्व क्षणवर्तीपर्याय क्षणिक उपादान कारण को कार्य का अभावरूप कारण कहा जाता है ।
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प्रश्न १५ – कार्य को उपादान कारण की अपेक्षा क्यो कहते हैं उत्तर - उपादेय कहते हैं ।
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प्रश्न १६ -- उपादान - उपादेय सम्बन्ध किसमें होता है उत्तर---उपादान- उपादेय सम्बन्ध एक ही पदार्थ मे लागू होता है । प्रश्न १७ - 'उपादेय' शब्द कहाँ-कहाँ प्रयोग होता है ? उत्तर -- (१) कार्य होने मे उपादान के कार्य को उपादेय कहते हैं । (२) त्रिकाली स्वभाव जो अनादिअनन्त है उसे आश्रय करने योग्य उपादेय कहते हैं । ( ३ ) मोक्षमार्ग को एकदेश प्रकट करने योग्य उपादेय कहते हैं । (४) मोक्ष को पूर्ण प्रकट करने योग्य उपादेय कहते हैं । उपादान - उपादेय प्रकरण मे जो कार्य होता है उसे यहाँ उपादेय कहना है । इसलिए यहाँ पर कार्य को उपादेय कहेगे । याद रखनाव्यवहारनय को उपादेय कहा सो उपादेय का अर्थ 'जानना' समझना ।
"कुम्हार ने चाक, कीली, डडा, हाथ आदि से घडा बनाया ।" इस वाक्य में 'घडा' कार्य पर उपादान - उपादेय का २५ प्रश्नोत्तरो द्वारा स्पष्टीकरण