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( ७२ ) उपादान कारण और घडा रूप कार्य वह पिण्ड की अनन्तर उत्तर क्षणवर्ती पर्याय है । (यह पर्यायाथिक नय से है)
प्रश्न :-(१) 'अनन्तर पूर्व' शब्द क्या बताता है (२) और अनन्तर शब्द ना लगावे तो नुकसान है ?
उत्तर-(१) जो कार्य हुआ। उससे तत्काल पहिले की पर्याय को बताता है। जैसे दस नम्बर पर घडा बना तो नौ नम्बर की पर्याय को बताता है (२) और यदि अनन्तर गब्द ना लगाया जावे तो जो कार्य हुआ-उससे पहिले की सब पर्यायो का ग्रहण हो जावेगा। जो ठीक नहीं है।
प्रश्न १०-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण किसे कहते हैं ?
उत्तर-जो कार्य हुआ-- वह उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण और वही पर्याय कार्य है। यही सच्चा कारण है ।
प्रश्न ११-उपादान का शाब्दिक अर्थ क्या है ?
उत्तर---उप समीप । आ=मर्यादा पूर्वक । दान-दान देना । द्रव्य के समीप मे से कौन-सी, जैसी पर्याय की योग्यता है । उस पर्याय को प्राप्त होना । यह उपादान का शाब्दिक अर्थ है ।
प्रश्न १२-इन तीनो उपादान कारणो मे से कार्य का सच्चा कौन है और कौन नहीं है । । उत्तर-उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण ही वास्तव मे कार्य का सच्चा कारण है। त्रिकाली उपादान कारण, अनन्तरपूर्व क्षणवर्तीपर्याय क्षणिक उपादान कारण और निमित्त कारण सच्चा कारण नही है। । प्रश्न १३-~-कार्य का त्रिकाली उत्पादन कारण सच्चा कारण क्यों नहीं है ?
उत्तर-कार्य एक समय का है उसका (काय का) कारण यदि अनादि अनन्त त्रिकाली हो तो कार्य भी अनादिअनन्त होना चाहिए ।