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( ५० ) क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादान कारण जानावरणीय के क्षयोपशम का अभाव करके कामीण वर्गणा में से आया, केवलज्ञान मे से नहीं आया-ऐसा समझे तो अपादान कारक को माना।
प्रश्न १५२-कोई चतुर ऐसा कहे केवलज्ञान मे से ही केवलज्ञानावरणीय कर्म का अभाव आया-तो क्या दोष आवेगा ।
उत्तर-~-अपादान कारक को उड़ा दिया। अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय क्षणिक उपादान कारण ज्ञानावरणीय क्षयोपशम के अभाव को और कार्माण वर्गणा को भी उड़ा दिया। प्रश्न १८३-तीनो उपादान कारणो में कितना समय लगता है। उत्तर-तीनो का एक ही समय है।
प्रश्न १८४-वाई ने रोटी बनाई-इस वाक्य में अपादान कारक को कव माना और कव नहीं माना?
उत्तर-रोटी अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय लोई क्षणिक उपादान कारण का अभाव करके त्रिकाली उपादान कारण आटे मे से वनी अपादान कारक को माना और वाई से रोटी बनी तो अपादान कारक को नहीं माना।
प्रश्न १८५-कुम्हार ने घड़ा बनाया-इस वाक्य मे अपादान कारक को कब माना और कब नहीं माना ?
उत्तर---प्रश्न १८४ के अनुसार उत्तर दो।
प्रश्न १८६-मैने विस्तरा बिछाया अपादान कारक को कब माना और कब नहीं माना ?
उत्तर-प्रश्न १८४ के अनुसार उत्तर दो।
प्रश्न १८७-सुनार ने जेवर बनाया-अपादान कारक को कब माना और कब नहीं माना?
उत्तर-प्रश्न १८४ के अनुसार उत्तर दो।
प्रश्न-१८५-मैंने बक्सा उठाया-अपादान कारक को कब माना ~ और कब नहीं माना?