________________ ( 217 ) है। परिणामी वस्तु के आश्रित ही परिणाम है। यह महान सिद्धात प्रतिक्षण इच्छा, भाषा और ज्ञान यह तीनो एक साथ होते हुए भी इच्छा और ज्ञान जीव के आश्रित है और भापा वह जड के आश्रित हैं, इच्छा के कारण भापा हुई और भाषा के कारण ज्ञान हुआ-ऐसा नही, उसी प्रकार इच्छा के आश्रित ज्ञान भी नही। इच्छा और ज्ञान यह दोनो है तो आत्मा के परिणाम तथापि एक के आश्रित दूसरे के परिणाम नहीं है। ज्ञान परिणाम और इच्छा परिणाम दोनो भिन्नभिन्न है / जान वह इच्छा का कार्य नही है और इच्छा वह ज्ञान का कार्य नहीं है। जहा ज्ञान का कार्य इच्छा भी नही वहा जड भाषा आदि तो उसका कार्य कहा से हो सकता है ? वह तो जड का कार्य है। ___ जगत मे जो भी कार्य होते हैं वह सत् की अवस्था होती है, किसी वस्तु के परिणाम होते है, परन्तु वस्तु के विना अधर से परिणाम नही होते। परिणामी का परिणाम होता है, नित्य स्थित वस्तु के आश्रित परिणाम होते है, पर के आश्रित नहीं होते। परमाणु मे होठो का हिलना और भापा का परिणमन-यह दोनो भी भिन्न वस्तु है। आत्मा मे इच्छा और ज्ञान-यह दोनो परिणाम भी भिन्न-भिन्न है। होठ हिलने के आश्रित भापा की पर्याय नही है / होठ का हिलना वह होठ के पुदगलो के आश्रित है, भाषा का परिणमन वह भापा के पुद्गलो के आश्रित है। होठ और भापा, इच्छा और ज्ञान-इन चारो का काल एक होने पर भी चारो परिणाम अलग हैं। उसमे भी इच्छा और ज्ञान-यह दोनो परिणाम आत्माश्रित होने पर भी इच्छा परिणाम के आश्रित ज्ञान परिणाम नही है। ज्ञान वह आत्मा का परिणाम है, इच्छा का नहीं, इसी प्रकार इच्छा वह आत्मा का परिणाम है, ज्ञान का नही। इच्छा को जानने वाला ज्ञान वह