________________ ( 212 ) नवमा अधिकार स्वतन्त्रता की घोषणा (चार बोलो से स्वतन्त्रता की घोषणा करता हुआ विशेष प्रवचन) पूज्य श्री कानजी स्वामी का प्रवचन समयसार-कलग 211 भगवान सर्वज्ञदेव का देखा हुआ वस्तु स्वभाव कैसा है, उसमें कर्ता-कर्मपना किस प्रकार है, वह अनेक प्रकार से दृष्टांत और युक्तिपूर्वक पुन पुनः समझाते हुये, उस स्वभाव के निर्णय में मोक्षमार्ग किस प्रकार आता है वह पूज्य गुरुदेव ने इन प्रवचनों मे बतलाया है। इनमें पुनः पुनः भेदज्ञान कराया है और वीतराग-मार्ग के रहस्यभूत स्वतन्त्रता की घोषणा करते हुए कहा है कि सर्वज्ञदेव द्वारा कहे हुए इस परम सत्य वीतराग-विज्ञान को जो समझेगा उसका अपूर्व कल्याण होगा। कर्ता-कर्म सम्बन्धी भेदज्ञान कराते हुए आचार्यदेव कहते है कि ननु परिणाम एव फिल कर्म विनिश्चयतः स भवति नापरस्य परिणामिन एव भवेत् / न भवति कर्तृशून्यमिह कर्म न चैकल्या स्थितिरिह वस्तुनो भवतु कर्तृ तदेव तत // 21 // वस्तु स्वयं अपने परिणाम की कर्ता है, और अन्य के साथ उसका