________________ ( 205 ) क्षणिक उपादान कारण को अभाव करके उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से वोलने रूप कार्य हुआ है राग के कारण नही हुआ है तो कारणानुविधायीनि कार्याणि को माना और राग के कारण बोलनेरूप कार्य हुआ ऐसी मान्यता वाले कारणानुविधायीनि कार्याणि को नही माना। B. प्रश्न २२-राग कारण और मुह खुला कार्य / कारणानुविधायोनि कार्याणि को कब माना और कब नहीं माना ? उत्तर-मुंहरूप आहारवर्गणा मे से अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय नौ नम्बर क्षणिक उपादान कारण का अभाव करके उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से मुंह खुलने रूप कार्य हुआ है तो कारणानुविधायीनि कार्याणि को माना / और राग के कारण मुह खुला है तो ऐसी मान्यता वाले ने कारणानुविधायीनि कार्याणि को नही माना। C. प्रश्न २२-बोलना कारण और राग कार्य। कारणानुविधायोनि कार्याणि को कब माना और कब नहीं माना ? उत्तर-आत्मा के चारित्र गुण मे से अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय नौ नम्बर का अभाव करके उस समय पर्याय को योग्यता क्षणिक उपादान कारण से रागरूप कार्य हुआ है तो कारणानुविधायीनि कार्याणि को माना / और बोलने के कारण रागरूप कार्य हुआ है ऐसी मान्यता वाले ने कारणानुविधायीनि कार्याणि को नही माना। D प्रश्न २२-मुंह खुला कारण और ज्ञान कार्य। कारणातुविधायोनि कार्याणि को कब माना और कब नही माना ? उत्तर-आत्मा के ज्ञान गुण मे से अनन्तरपूर्व क्षणवर्ती पर्याय नौ नम्बर क्षणिक उपादान कारण का अभाव करके उस समय पर्याय की योग्यता क्षणिक उपादान कारण से ज्ञान रूप कार्य हुआ है तो कारणानुविधायीनि कार्याणि को माना। और मुंह खुलने के कारण ज्ञान हुआ है-ऐसी मान्यता वाले ने कारणानुविधायीनि कार्याणिको नही माना।