________________ ( 181 ) ___4 प्रश्न ५-जो आत्मा, मुह आदि निमित्त कारणो से ही बोलने आदि की उत्पत्ति मानते हैं। जिन्हें जिनवाणी मे किन-किन नामों से सम्बोधन किया है। उत्तर-जो आत्मा, मुंह आदि निमित्त कारणो से ही बोलने को उत्पत्ति मानते है। (1) उन्हे समयसार कलश 55 मे कहा है कि उनका सुलटना दुनिवार है और यह उनका अज्ञान मोह अन्धकार है। (2) उन्हे प्रवचनसार गाथा 55 मे कहा है कि वह पद-पद पर धोखा खाता है। (3) उन्हे पुरुषार्थ सिद्धियुपाय गाथा 6 मे कहा है कि "तस्य देशना नास्ति / " (4) उन्हे आत्मावलोकन मे कहा है कि यह उनका 'हरामजादीपना' है। __B प्रश्न ५-जो आत्मा बोलने आदि निमित्त कारणों से ही मुंह खुलने रूप कार्य को उत्पत्ति मानते हैं। उन्हें जिनवाणो मे किन-किन नाम से सम्बोधन किया है ? उत्तर-जो आत्मा, बोलना आदि निमित कारणो से ही मुंह खुले रूप कार्य की उत्पत्ति मानते हैं। (1) उन्हे समयसार कलश 55 मे कहा है कि उनका सुलटना दुनिवार है और यह उनका अज्ञान मोह अन्धकार है / (2) उन्हे प्रवचनसार गाथा 55 मे कहा है कि वह पदपद पर धोखा खाता है। (3) उन्हे पुरुषार्थ सिद्धियुपाय गाथा 6 मे कहा है कि "तस्य देशना नास्ति / " (4) उन्हे आत्मावलोकन मे कहा है कि "यह उनका हरामजादीपना है।" ___C. प्रश्न ५-जो बोलना, मह खुलना आदि निमित्त कारणों से ही “राग की उत्पत्ति मानते हैं। उन्हें जिनवाणी में किन-किन नामों से सम्बोधन किया है। उत्तर-जो बोलना, मुंह खुला आदि निमित्त कारणो से ही राग