________________ ( 178 ) इस वाक्य पर निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध की परिभाषा लगाकर बताओ? उत्तर- जव आत्मा का चारित्र गुण स्वयं स्वत रागरूप परिणमित होता है तब ज्ञान, बोलना, मह सलने भावरूप किस उचित निमित्त चारणा का राग के साथ सम्बन्ध है। यह बतलाने के लिए रागस्प कार्य को नैमित्तिक कहते हैं। इस प्रकार ज्ञान, बोलना, मुह खुलना और राग के भिन्न-भिन्न पदार्थों के स्वतत्र सम्बन्ध को निमित्त नमित्तिक राग्बन्ध कहते हैं। D. प्रश्न २-राग, बोलना, मुंह खुलने के कारण ज्ञान हुआइस वाक्य पर निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध की परिभाषा लगाकर समझाओ? उत्तर-जव आत्मा का ज्ञान, गुण स्वय स्वत ज्ञानरूप परिणमित होता है तव राग बोलना, मह खुलने भावरूप किस उचित निमित्त कारण'का ज्ञान के साथ सम्बन्ध है। यह बतलाने के लिये ज्ञानस्प कार्य' को नैमित्तिक कहते हैं। इस प्रकार राग, बोलना, मुह खुलना मोर ज्ञानरूप कार्य के भिन्न-भिन्न पदार्थों के स्वतन्य सम्बन्ध को निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध कहते हैं। . प्रश्न ३--मुझ आत्मा और मुंहरूप आहार वर्गणा उपादान कारण और बोलना उपादेय-क्या यह उपादान-उपादेय का ज्ञान ठीक है? * उत्तर-बिल्कुल ठीक नहीं है, क्योकि यहाँ पर भाषा वर्गणा त्रिकाली उपादानं कारण और वोलना कार्य उपादेय है। प्रश्न ३-मुझ आत्मा और बोलने रूप भाषा वर्गणा उपादान कारण और मुंह खुला उपादेय। क्या यह उपादान-उपादेय का जान ठीक है?